फिल्म 'मंटो' में नवाजुद्दीन सिद्दीकी और एक्ट्रेस नंदिता दास
नई दिल्ली:
अफसाना निगार सआदत हसन मंटो के जीवन पर बनी फिल्म ‘मंटो’ का चयन कान फिल्म महोत्सव के एक वर्ग ‘अन सर्टन रिगार्ड’ में हुआ है. इस फिल्म का निर्देशन भारत की जानी-मानी अभिनेत्री और निर्देशक नंदिता दास ने किया है. साल 2008 में ‘फिराक’ के बाद उनके निर्देशन में बनी यह दूसरी फिल्म है. दास ने अपने प्रशंसकों के लिए यह खबर ट्विटर पर शेयर की. ‘अन सर्टन रिगार्ड’ का मतलब एक विशेष झलक होती है. वहीं आम फ्रेंच भाषा में इसका मतलब एक दूसरे परिपेक्ष्य में होता है. इसमें ऐसी फिल्में शामिल की जाती है जिसमें कहानी को गैरपारंपरिक तरीके से कहा गया हो.
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उन्होंने लिखा, “हम कान फिल्म महोत्सव में! मंटो का चयन इसके आधिकारिक वर्ग-अन सर्टन रिगार्ड्स में किया गया है. यह खबर इस फिल्म के सभी सदस्यों को रोमांचित कर देने वाली है.” इस फ्रेंच फिल्म महोत्सव के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने भी इसकी घोषणा की है. इस फिल्म में अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने लेखक मंटो का किरदार अदा किया है. अभिनेता ने फिल्म महोत्सव की इस घोषणा को साझा करते हुए ट्वीट किया, ''और यह संभव है कि सआदत हसन मर जाए और मंटो जिंदा रहे. इसकी सूचना देते हुए खुशी हो रही है कि मंटो का चयन कान फिल्म महोत्सव, 2018 के ‘अन सर्टन रिगार्ड सेक्शन’ में हुआ है.''
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यह फिल्म लेखक मंटो के 1946 से 1950 तक के जीवन पर केंद्रित है. लेखक भारत विभाजन पर लिखी गई अपनी कहानियों के लिए दुनिया भर में विख्यात हैं. उनका जन्म 11 मई, 1912 को हुआ था और वह बाद में पाकिस्तान चले गए. मंटो का निधन 55 साल की उम्र में 18 जनवरी, 1955 को हुआ.
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“And it is possible that Saadat Hasan dies, but MANTO remains alive”.
— Nawazuddin Siddiqui (@Nawazuddin_S) April 12, 2018
Glad to inform that ‘MANTO’ is selected for competition at #Cannes2018 in #UnCertainRegard section.
Congratulations @nanditadas and Team #Manto pic.twitter.com/LBKcSVb1vb
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यह फिल्म लेखक मंटो के 1946 से 1950 तक के जीवन पर केंद्रित है. लेखक भारत विभाजन पर लिखी गई अपनी कहानियों के लिए दुनिया भर में विख्यात हैं. उनका जन्म 11 मई, 1912 को हुआ था और वह बाद में पाकिस्तान चले गए. मंटो का निधन 55 साल की उम्र में 18 जनवरी, 1955 को हुआ.
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