Mothers day 2019: भारत में मदर्स डे (Mothers day 2019 in india) मदर्स डे 12 मई को मनाया जाता है. हालांकि, मदर्स डे (Mothers day) तो रोज़ मनाया जाना चाहिए क्योंकि ये भगवान की ओर से इंसान को दिया गया सबसे बेशक़ीमती तोहफ़ा है. बहुत से लोग अपनी मां के लिए अपना प्यार ज़ाहिर करने के लिए दिल खोलकर बातें बताते हैं. आधुनिक मदर्स डे (Mother's Day) का अवकाश ग्राफटन वेस्ट वर्जिनिया में एना जार्विस के द्वारा समस्त माताओं तथा मातृत्व के लिए खास तौर पर पारिवारिक एवं उनके आपसी संबंधों को सम्मान देने के लिए आरम्भ किया गया था. यह खास दिन दुनिया के हर कोने में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता हैं. बॉलीवुड की हस्तियां भी इससे दूर नहीं हैं, ये हैं कुछ लोग जिन्होंने ये बताया और उन्होंने अपनी मां के लिए अपने विचारों और उस सबसे क़ीमती सबक के बारे में बताया जो उन्होंने उनसे सीखा है.
ऋचा चड्ढा
मेरी मां ने मुझे सच्चाई और दयावान होने की अहमियत सिखाई है. उनमें ग़ज़ब की सहनशक्ति है और उन्हें भविष्यवाणी में एक अटूट विश्वास है, वे बहुत आशावादी है. वे भी सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी शख्सियत हैं, जिन्हें मैं जानती हूं. मुझे लगता है कि मैंने मां से इन सब चीजों मे से थोड़ा-थोड़ा सिखा है.
अली फज़ल
मैंने सीखा कि कैसे अपने साधनों के हिसाब से ख़र्च कैसे करना है. उसने मुझे इस दुनिया में साधनों के साथ और उनके बिना जीना सिखाया है. मैं अपनी मां जैसे किसी और इंसान को नहीं जानता. सहनशील और इस हद तक ज़िद्दी कि उन्होंने वक़्त के इम्तिहान के सामने घुटने टेकने के बजाय प्यार, इज़्ज़त और गर्व के साथ अपनी सारी ज़िंदगी गुज़ार दी. आज मेरे पास जो कुछ भी है वह सब उनका ही दिया हुआ है. और मेरा जो कुछ भी है अब उनका है.
श्वेता त्रिपाठी
मेरी मां के कारण ही डिज़ाइन में मुझे दिलचस्पी हुई. संगीत, नृत्य और किसी भी रचनात्मक काम में. उन्होंने मुझे एक अलग नज़रिए से दुनिया को देखना सिखाया. उन्होंने मुझे हमेशा वही करने के लिए प्रोत्साहित किया गया जिससे मुझे ख़ुशी मिले और मैं सीखते हुए बड़ी होती रहूं. वे एक टीचर के तौर पर रिटायर हुईं और रिटायर होने के बाद, उन्होंने पेंटिंग करना सीखना शुरू कर दिया है. और हर बार वे मुझे अपनी नई पेंटिंग भेजती हैं, मुझे बहुत खुशी होती है.
पंकज त्रिपाठी
एक बात जो मैंने अपनी मां से सीखी है जिसने मुझे अपने व्यक्तित्व को संवारने में मदद की है, वो यह है कि सच्चाई, ईमानदारी और कड़ी मेहनत के बदले दूसरा कोई रास्ता नहीं है. दूसरी बात, जो उन्होंने मुझे सिखाई वो है कि अपनी थाली में अन्न का एक भी दाना मत छोड़ो, खाना बर्बाद मत करो और जो कुछ भी तुम्हें परोसा गया है, उसे पूरा खाओ. अपने ज़िंदगी के इस पड़ाव पर भी मैं अभी भी उनकी सीखों का अनुसरण कर रहा हूं और आगे भी करती रहूंगी. मैं केवल सच्चाई, ईमानदारी और कड़ी मेहनत में विश्वास करता हूं. प्लेट में एक भी दाना नहीं छोड़ने का कारण यह है कि हम किसानों के परिवार से हैं. हम जानते हैं कि चावल के एक दाने को उगाने और उसी दाने को खेत से घर तक लाने में कितनी मेहनत और कोशिश की ज़रूरत होती है. किसान होने के नाते हम जानते हैं कि अन्न के दाने की अहमियत और क़ीमत क्या होते है. यह एक कारण है जिसकी वजह से उन्होंने हमें भोजन की और उसे बर्बाद नहीं करने की क़ीमत सिखाई.
सुमीत व्यास
कोई फर्क नहीं पड़ता कि समस्या कितनी गंभीर है, भरपेट खाना खाने के बाद, मैं उसे हल कर सकता हूं.
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