अवतार किशन हंगल...इन्हें आप एके हंगल के नाम से जानते होंगे...और कई फिल्मों में देखा होगा. हंगल हिंदी सिनेमा में एंट्री लेने से पहले बहुत से क्रांतिकारी कामों में लगे हुए थे. साल 1929 से 1947 तक वे एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे और 1936 से 1965 तक थियेटर आर्टिस्ट के तौर पर काम किया. आजादी के बाद जब मुंबई शिफ्ट हुए तब हिंदी फिल्मों में काम शुरू किया. उनकी कुछ यादगार फिल्में आइना, शौकीन, नमक हराम, शोले, मंजिल, प्रेम बंधन हैं.
पाकिस्तान की जेल में काटे दो साल फिर आए भारत
अवतार किशन हंगल का जन्म ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत (पाकिस्तान वाला पंजाब) के सियालकोट में एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था. उनका बचपन पेशावर में बीता और वहीं बड़े हुए. यहां उन्होंने थिएटर में परफॉर्मेंस दीं. कुछ लीड रोल निभाए. वह 1929 से 1947 तक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक्टिव रहे. वह 1936 में पेशावर के एक थिएटर ग्रुप श्री संगीत प्रिया मंडल में शामिल हुए और 1946 तक अविभाजित भारत में कई नाटकों में एक्टिंग करते रहे. उनके पिता के रिटायर होने के बाद परिवार पेशावर से कराची चला गया. पाकिस्तान में 3 साल जेल में रहने के बाद 1949 में भारत के विभाजन के बाद वह मुंबई चले आए. वह बलराज साहनी और कैफी आजमी के साथ थिएटर ग्रुप इप्टा से जुड़े थे. ये दोनों मार्क्सवादी थे. हंगल कम्यूनिस्ट थे इसलिए उन्हें जेल में डाल दिया गया. 1947 से 1949 तक दो साल तक कराची जेल में रहे और अपनी रिहाई के बाद भारत आ गए और मुंबई में बस गए. बाद में उन्होंने 1949 से 1965 तक भारत के थिएटरों में कई नाटकों में काम किया.
उन्होंने अपने हिंदी फिल्म करियर की शुरुआत 52 साल की उम्र में 1966 में बासु भट्टाचार्य की 'तीसरी कसम' और 'शागिर्द' से की और फिल्मों में लीड एक्टर्स के आसपास के रोल करने लगे. जिन्हें आप कैरेक्टर रोल्स भी कह सकते हैं. कभी वह मासूम बुजुर्ग के रोल में दिखते तो कभी वकील, जज या पुलिस के रोल में. चेतन आनंद की हीर रांझा, नमक हराम, शौकीन (1981), शोले, आइना (1977), अवतार, अर्जुन, आंधी, तपस्या, कोरा कागज, बावर्ची, छुपा रुस्तम, चितचोर, बालिका बधू, गुड्डी जैसी फिल्मों में उनके रोल काफी अहम थे. एक कैरेक्टर एक्टर के तौर पर उन्होंने राजेश खन्ना के साथ 16 फिल्मों में काम किया था. जैसे आप की कसम, अमर दीप, नौकरी, प्रेम बंधन, थोड़ी सी बेवफाई, फिर वही रात, कुदरत, आज का एम.एल.ए. 1996 में राम अवतार, बेवफाई से लेकर सौतेला भाई तक.
हंगल ने आखिरी बार स्क्रीन पर मई 2012 में टीवी शो मधुबाला - एक इश्क एक जुनून में दिखाई दिए थे. इसमें उन्होंने एक छोटा सा रोल किया था. हंगल वाला एपिसोड 1 जून को 22:00 बजे कलर्स पर टेलीकास्ट हुआ. 2012 की शुरुआत में हंगल ने एनिमेशन फिल्म कृष्णा और कंस में राजा उग्रसेन के कैरेक्टर के लिए भी अपनी आवाज दी. यह 3 अगस्त 2012 को रिलीज़ हुई थी. यह उनकी मृत्यु से पहले उनके करियर का आखिरी प्रोजेक्ट था.
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