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This Article is From Aug 01, 2022

'चांद तन्हा है आसमां तन्हा, दिल मिला है कहां कहां तन्हा', पढें ट्रेजडी क्वीन मीना कुमारी की मशहूर शायरी

मीना कुमारी बॉलीवुड की नायाब हीरा थी. मीना कुमारी ट्रेजेडी क्वीन कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने दुख को जीया और अपने दुख को पर्दे पर उतारा. जन्म होने से लेकर मौत तक उनकी जिंदगी में सिर्फ दुख था.

'चांद तन्हा है आसमां तन्हा, दिल मिला है कहां कहां तन्हा', पढें ट्रेजडी क्वीन मीना कुमारी की मशहूर शायरी
मीना कुमारी की बेहतरीन शायरी
नई दिल्ली:

मीना कुमारी बॉलीवुड की नायाब हीरा थी. मीना कुमारी ट्रेजेडी क्वीन कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने दुख को जीया और अपने दुख को पर्दे पर उतारा. जन्म होने से लेकर मौत तक उनकी जिंदगी में सिर्फ दुख था. मीना कुमारी फैन फॉलोइंग इतनी थी कि डाकू तक उनके फैन थे. कहा जाता है कि राजकुमार जैसे बड़े स्टार्स भी  उन्हें देख कर डायलॉग भूल जाते थे, लेकिन पर्सनल लाइफ में वह बेहद तन्हा थीं. मीना कुमारी की सबसे अच्छी दोस्त थी एक्ट्रेस नर्गिस दोनों की दोस्ती मशहूर थी. मीना कुमारी ने कमाल अमरोही से शादी की और वह उनके साथ खुश नहीं थीं. कुछ रिपोर्ट्स कि मुताबिक कमाल अमरोही हमेशा मीना कुमारी पर हाथ उठाते थे और उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे.  मीना कुमारी अपने दुख को भुलाने के लिए शराब पीने लगीं. इस तल के कारण मीना को लिवर की समस्या हुई और वो इस दुनिया से अलविदा कह गईं. उनकी मौत पर उनके पक्की सहेली नरगिस ने कहा था. 'इस दुनिया में दोबारा मत आना.' मीना कुमारी एक बेहतरीन शायरा भी थी.

मीना कुमारी के कुछ चुनिंदा शेर...

चांद तन्हा है आसमां तन्हा
दिल मिला है कहां कहां तन्हा

बुझ गई आस, छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआं तन्हा

ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है और जां तन्हा

हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी
दोनों चलते रहें कहां तन्हा

जलती बुझती सी रौशनी के पर,
सिमटा- सिमटा सा एक मकां तन्हा

राह देखा करेगा सदियों तक 
छोड़ जाएंगे ये जहां तन्हा 

आगाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता

जब ज़ुल्फ़ की कालिख़ में घुल जाए कोई राही
बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता

हंस- हंस के जवां दिल के हम क्यों न चुनें टुकड़े 
हर शख़्स की क़िस्मत में ईनाम नहीं होता

बहते हुए आंसू ने आंखों से कहा थम कर
जो मय से पिघल जाए वो जाम नहीं होता

दिन डूबे हैं या डूबे बारात लिए क़श्ती
साहिल पे मगर कोई कोहराम नहीं होता

यूं तेरी रहगुज़र से दीवानावार गुज़रे
कांधे पे अपने रख के अपना मज़ार गुज़रे

बैठे हैं रास्ते में दिल का खंडहर सजा कर
शायद इसी तरफ़ से एक दिन बहार गुज़रे

बहती हुई ये नदिया घुलते हुए किनारे 
कोई तो पार उतरे कोई तो पार गुज़रे 

तूने भी हम को देखा हमने भी तुझको देखा 
तू दिल ही हार गुज़रा हम जान हार गुज़रे 

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