विज्ञापन
This Article is From Sep 11, 2020

Mithila Makhaan: मैथिली फिल्म 'मिथिला मखान' इस दिन होगी रिलीज, नितिन चंद्रा ने किया है निर्देशन

ऐसा पहली बार हुआ की बिहार की भाषा में, बिहार में बनी फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला हो.  निर्देशक नितिन चंद्रा, जिन्होंने मैथिली फिल्म "मिथिला मखान" (Mithila Makhaan) का निर्देशन किया, उन्हें इस फिल्म के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. 

Mithila Makhaan: मैथिली फिल्म 'मिथिला मखान' इस दिन होगी रिलीज, नितिन चंद्रा ने किया है निर्देशन
"मिथिला मखान" (Mithila Makhaan)
नई दिल्ली:

ऐसा पहली बार हुआ की बिहार की भाषा में, बिहार में बनी फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला हो.  निर्देशक नितिन चंद्रा, जिन्होंने मैथिली फिल्म "मिथिला मखान" (Mithila Makhaan) का निर्देशन किया, उन्हें इस फिल्म के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है.  इस फिल्म को बनाने के पीछे की पूरी कहानी, इससे जुड़े संघर्ष और राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने तक के सफर को नितिन चंद्रा ने हमसे साझा किया. निर्देशक नितिन चंद्रा कहते हैं, "बिहार में 2008 के बाढ़ में मैं, नेपाल-बिहार बॉर्डर पर NGO के साथ काम कर रहा था और बाढ़ से हुई त्रासदी ने मन में कई कहानियों को जन्म दिया."  

Nora Fatehi हेयर स्टाइलिंग के दौरान ही करने लगीं डांस, अब वायरल हो रहा है Video

उन्होंने कहा: "मैंने इस समस्या को समझने के लिए एक डॉक्यूमेंटरी फिल्म बनाई थी. तब मैंने अनुभव किया की बिहार से भारी पलायन होने और जमीनी स्तर पे विकास नहीं होने के कई कारण एक साथ मौजूद हैं. सबसे जरूरी बात ये है की वहां जमीनी स्तर पर कोई आजीविका नहीं थी. उत्तर बिहार में बाढ़ का कहर था और उसके बाद रेत से ढ़की जमीन. जिसपर खेती नहीं हो सकती. बिहार के किसान देश के हर हिस्से में मजदूर बनने को मजबूर थे. मेरे मन में यह विचार आया कि आर्थिक रूप से कमज़ोर व्यक्तियों को उनके अपने गांव में नौकरियां कैसे मिले.  मैंने 2011 में कहानी/पटकथा  लिखी, धीरे धीरे कहानी  विकसित हुई और 3-4 साल तक इसके लिए पैसे ढूंढता रहा. लेकिन दुर्भाग्य से बिहार में कोई नहीं मिला. शुरूआती काम के लिए नितिन चंद्र का साथ उनकी बहन नीतू चंद्र (Neetu Chandra) ने दिया और लोकेशन और कास्टिंग का काम शुरू हुआ. साथ में क्राउड फंडिंग भी शुरू हुई लेकिन ये फिल्म बनाने के लिए नाकाफी था. मैं भाग्यशाली था कि सिंगापुर से समीर कुमार जी साथ आए और कुछ अन्य संसाधनों के साथ मैं फिल्म बना सका." 

Deepika Singh ने पिंक कलर की साड़ी में इस अंदाज में किया डांस, बार-बार देखा जा रहा VIDEO

आगे बात करते हुए वे कहते हैं, "इस फिल्म को बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि हमें टोरंटो की सर्दियों में शूटिंग करना चाहते थे, लेकिन हमें नहीं पता था कि टोरंटो में सर्दियों  का मतलब सामान्य दिनों में -35 से लेकर -10 तक का तापमान होता है. हमने किसी तरह टोरंटो की गलियों में और उनके मेट्रो के अंदर गुरिल्ला शूटिंग की. टोरंटो में बीते वो सात दिन मेरे दिमाग में हमेशा के छपे  रहेंगे. मैं उन सड़कों पर चलता था जहां सड़क के किनारे बर्फ का कीचड़ होता था. मैं कैमरा मैन जस्टिन चेम्बर्स का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने फिल्म की शूटिंग की. विश्व प्रसिद्घ नियाग्रा फॉल्स में शूटिंग करना एक अलग अनुभव था. हम आगे की शूटिंग के लिए मई के महीने में बिहार पहुंचे तो वहा का तापमान + 45 डिग्री था. भीषण गर्मी में २२ दिन शूटिंग चली. 

कंगना रनौत के बयान पर भड़कीं फराह खान, बोलीं- 'तुझे' बोलने की हिम्मत कैसे हुई?

इस कहानी में हम लोग जो चाहते थे उससे कोई समझौता नहीं किया.  शूटिंग नेपाल के भी कुछ हिस्सों में हुई थी. बिहार के दरभंगा के अलावा पटना, सहरसा, सुपौल, मधुबनी और कटिहार में शूटिंग हुई. नीतू चंद्र की वजह से फिल्म में हरिहरन, सोनू निगम, सुरेश वाडकर, सब मैथिली में गाने आए. बिहार की भाषाओं में सिनेमा खड़ा और बिहार की जमीं पर ही रोजगार हो सिनेमा के माध्यम से, पिछले दस सालों से लगातार ऐसा करने वाले नितिन चंद्र बिहार के अकेले ऐसे निर्देशक हैं. नितिन का मानना है की बिहार का सिनेमा खड़ा हुआ तो हिंदी सिनेमा में संघर्ष करने की ज़रूरत बिहार के कलाकारों को नहीं पड़ेगी, जिस तरह से बांग्ला, असमिया, ओड़िया, दक्षिण या मराठी गुजरती का सिनेमा अपने पैरों पे खड़ा है वैसे ही बिहार का सिनेमा अपने जमीं पर खड़ा हो सकता है और यहां के कलाकारों को काम यहीं मिल सकता है.

दिव्येंदु शर्मा Mirzapur 2 की रिलीज से पहले अपने पसंदीदा शहर बनारस लौटे

फिल्म में मुख्य कलाकार क्रांति प्रकाश झा और अनुरिता झा हैं, पंकज झा, नेगेटिव लीड के लिए स्वाभाविक पसंद थे. उत्साहित नितिन कहते हैं, “राष्ट्रीय पुरस्कार एक ऐसी चीज है जिसे हर फिल्म निर्माता लेना चाहेगा."  यह राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने का अनुभव बहुत खुशी का था, दरअसल हुआ ये की फिल्म के डीवीडी पहुचनी की आखरी तारीख 15 जनवरी थी जहां तक नितिन याद करते हैं, लेकिन किसी कारणवश 14 तारीख के रात को फिल्म भेज पाए.  नितिन बताते हैं की, "मुझे यकीन नहीं था कि यह पहुंची है या नहीं, लेकिन जब मैंने मार्च में राष्ट्रीय पुरस्कार के परिणामों को सुना, तब मुझे यकीन था कि यह उनके कार्यालय तक पहुंच गयी था और बाकी इतिहास है."
 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com