Labour Day (अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस): गूगल ने बनाया डूडल
नई दिल्ली:
Labour Day (श्रमिक दिवस या मजदूर दिवस) आज दुनिया भर में मनाया जा रहा है, और श्रमिकों से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजिन किया जा रहा है. Labour Day 1 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है. गूगल ने Labour Day (अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस) 2018 शीर्षक से डूडल बनाकर श्रमिकों के जज्बे को सलाम किया है. 'लेबर डे' की शुरुआत का बीज 1 मई 1886 को पड़ा. इस दिन अमेरिका के श्रमिक संघों ने फैसला लिया था कि वे आठ घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे, जिसके लिए हड़ताल की गई थी. हड़ताल के दौरान शिकागो के हेमार्केट में बम धमाका हुआ. इससे निबटने के लिए पुलिस ने श्रमिकों पर गोली चला दी. कई श्रमिकों की मौत हुई. 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में घोषणा की गई कि हेमार्केट में मारे गए लोगों की स्मृति में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मनाया जाएगा. इस दिन सभी श्रमिकों के अवकाश की घोषणा भी की गई.
Labour Day: कैसे हुई थी मजदूर दिवस की शुरुआत, जानिए इसका इतिहास
बॉलीवुड में भी समय-समय पर श्रमिकों और उनसे जुड़े आंदोलनों को फिल्मों में देखा जाता रहा है. लेबर डे पर बॉलीवुड की कुछ ऐसी ही फिल्में जिनमें श्रमिकों ने अपना दम दिखाया था.
लेबर डे (अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस) के मौके पर बॉलीवुड की 3 फिल्में जिनमें दिखा था मजदूरों का दमः
1- मजदूर (1983)
दिलीप कुमार की इस फिल्म को रवि चोपड़ा ने डायरेक्ट किया और ये कहानी एक मिल मजदूर के बड़ा कारोबारी बनने तक की है. फिल्म में दिलीप कुमार की जबरदस्त एक्टिंग है और इसका एक सुपरहिट गाना हैः हम मेहनतकश इस दुनिया से, जब अपना हिस्सा मांगेंगे. इक बाग नहीं, इक खेत नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे. ये गाना बहुत ही जबरदस्त है और मजदूरों की पूरी कहानी कहता है.
2- नमकहराम (1973)
हृषिकेश मुखर्जी की ये फिल्म बहुत ही मार्मिक है. इसमें अमिताभ बच्चन एक अमीर आदमी है और उसकी एक कंपनी है. वो अपने दोस्त राजेश खन्ना को मजदूरों के बीच अपना मुखबिर बनकर रहने के लिए कहता है, और राजेश खन्ना मान जाता है. लेकिन आखिर में राजेश खन्ना भी मजदूरों के दुख दर्द का साथी बन जाता है, और अपने दोस्त से दूर होकर उनके जैसा ही रहने लगता है. लेकिन फिल्म का अंत बहुत मार्मिक था.
3- काला पत्थर (1979)
कोयला खदानों की जिंदगी पर आधारित इस फिल्म को यश चोपड़ा ने बनाया था और इसमें अमिताभ बच्चन, शशि कपूर और शत्रुघ्न सिन्हा थे. अमिताभ बच्चन कोयला खदान के मजदूर थे तो शत्रुघ्न सिन्हा यूनियन लीडर बनना चाहते थे. इस फिल्म मे कोयला खदान श्रमिकों के त्रासदी भरे जीवन को दिखाया था.
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
Labour Day: कैसे हुई थी मजदूर दिवस की शुरुआत, जानिए इसका इतिहास
बॉलीवुड में भी समय-समय पर श्रमिकों और उनसे जुड़े आंदोलनों को फिल्मों में देखा जाता रहा है. लेबर डे पर बॉलीवुड की कुछ ऐसी ही फिल्में जिनमें श्रमिकों ने अपना दम दिखाया था.
लेबर डे (अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस) के मौके पर बॉलीवुड की 3 फिल्में जिनमें दिखा था मजदूरों का दमः
1- मजदूर (1983)
दिलीप कुमार की इस फिल्म को रवि चोपड़ा ने डायरेक्ट किया और ये कहानी एक मिल मजदूर के बड़ा कारोबारी बनने तक की है. फिल्म में दिलीप कुमार की जबरदस्त एक्टिंग है और इसका एक सुपरहिट गाना हैः हम मेहनतकश इस दुनिया से, जब अपना हिस्सा मांगेंगे. इक बाग नहीं, इक खेत नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे. ये गाना बहुत ही जबरदस्त है और मजदूरों की पूरी कहानी कहता है.
2- नमकहराम (1973)
हृषिकेश मुखर्जी की ये फिल्म बहुत ही मार्मिक है. इसमें अमिताभ बच्चन एक अमीर आदमी है और उसकी एक कंपनी है. वो अपने दोस्त राजेश खन्ना को मजदूरों के बीच अपना मुखबिर बनकर रहने के लिए कहता है, और राजेश खन्ना मान जाता है. लेकिन आखिर में राजेश खन्ना भी मजदूरों के दुख दर्द का साथी बन जाता है, और अपने दोस्त से दूर होकर उनके जैसा ही रहने लगता है. लेकिन फिल्म का अंत बहुत मार्मिक था.
3- काला पत्थर (1979)
कोयला खदानों की जिंदगी पर आधारित इस फिल्म को यश चोपड़ा ने बनाया था और इसमें अमिताभ बच्चन, शशि कपूर और शत्रुघ्न सिन्हा थे. अमिताभ बच्चन कोयला खदान के मजदूर थे तो शत्रुघ्न सिन्हा यूनियन लीडर बनना चाहते थे. इस फिल्म मे कोयला खदान श्रमिकों के त्रासदी भरे जीवन को दिखाया था.
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