भाजपा सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत की आगामी फिल्म "इमरजेंसी" की रिलीज पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर मंगलवार को हाई कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई. केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने कोर्ट को सूचित किया कि अब तक फिल्म की रिलीज के लिए प्रोडक्शन हाउस को सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है. हाई कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी कि वे चाहें तो फिल्म और उसके ट्रेलर को लेकर तीन दिन के भीतर सेंसर बोर्ड के समक्ष नए सिरे से आपत्ति दर्ज कर सकते हैं. इसके साथ ही, कोर्ट ने सीबीएफसी को निर्देश दिए कि वे इन आपत्तियों पर गंभीरता से विचार कर उचित कदम उठाएं. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की पीठ ने इस निर्देश के साथ जनहित याचिका का समापन कर दिया.
याचिकाकर्ता, जबलपुर सिख संगत और श्री गुरु सिंघ सभा, इंदौर की ओर से अधिवक्ता नरिंदरपाल सिंह रूपराह, नवतेज सिंह रूपराह और सुदीप सिंह सैनी ने कोर्ट के समक्ष तर्क दिए कि फिल्म के ट्रेलर में सिख समुदाय को क्रूर और नकारात्मक रूप में दिखाया गया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रस्तुति से समाज में सिख समुदाय के प्रति गलत धारणाएं बन सकती हैं और उनकी छवि को नुकसान पहुंच सकता है. उन्होंने फिल्म के ट्रेलर पर आपत्ति जताई.
डिप्टी सॉलिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव और अधिवक्ता संदीप के शुक्ला ने केन्द्र सरकार और सीबीएफसी की ओर से कोर्ट को जानकारी दी कि सेंसर बोर्ड के सीईओ ने वाट्सएप पर सूचित किया है कि फिल्म को अभी तक सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया है. देशभर से फिल्म के खिलाफ आ रही आपत्तियों को देखते हुए फिलहाल सर्टिफिकेट होल्ड किया गया है. उन्होंने बताया कि सभी आपत्तियों पर विचार करने के बाद ही फिल्म "इमरजेंसी" को सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा.
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