नई दिल्ली:
फिल्म अभिनेता कमल हासन ने गुरुवार को पत्रकार-सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि बंदूक की गोली से किसी को चुप कर देना बहस का कोई हल नहीं है. कमल ने ट्विटर पर लिखा, 'बंदूक से मुंह बंद कर बहस में जीतना सबसे बुरी जीत है. गौरी के निधन से दुखी सभी लोगों के साथ मेरी संवेदना.' उन्होंने पिछले सप्ताह ट्विटर के माध्यम से एक राजनीतिक दल बनाने का संकेत दिया था लेकिन यह भी स्पष्ट किया था कि वह दक्षिणपंथी 'भगवा' के साथ सहयोग नहीं करेंगे. मंगलवार की रात गौरी लंकेश के बेंगलुरु स्थित घर पर अज्ञात हमलावरों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई.
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शबाना आजमी, जावेद अख्तर और शेखर कपूर जैसी बॉलीवुड की हस्तियों ने जोरदार तरीके से इस हमले की निंदा की है. इस हत्या की देश में व्यापक रूप से आलोचना की जा रही है. जावेद अख्तर ने ट्वीट किया, 'दाभोलकर, पंसारे, कलबुर्गी और अब गौरी लंकेश. अगर एक विचारधारा के लोग मारे जा रहे हैं, तो किस तरह के लोग उन्हें मार रहे हैं. इसके अलावा निर्देशक शेखर कपूर ने लिखा, 'किसी को उसके विचारों के लिए मार देना लोकतंत्र नहीं है, यह एक 'बनाना रिपब्लिक' की शुरुआत है, जहां हिंसा की आवाज, शब्दों से ज्यादा है.' वहीं फिल्ममेकर शिरिश कुंदर ने लिखा, 'जब 'इंटलेक्चुयल' होना एक गाली बन जाए, तब तलवार शब्दों से ज्यादा ताकतवर हो जाती है.'
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हालांकि, ट्विटर पर दक्षिणपंथी राजनीति के कुछ समर्थकों ने कन्नड़ पत्रकार की हत्या का एक तरह से समर्थन करते हुए इसे सही करार दिया. उनका कहना है कि वह इसी लायक थीं. गौरी धर्मनिरपेक्षता व प्रगतिशील मूल्यों में विश्वास रखती थीं और दक्षिणपंथी विचार व राजनीति की आलोचक थीं. वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश को बुधवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई.
(इनपुट आईएएनएस से भी)
VIDEO:प्राइम टाइम: गौरी लंकेश की हत्या के पीछे क्या हमारी कट्टरता नहीं?
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Silencing a voice with a gun is the worst way to win a debate. Condolence to all those who are grieving Gauri Lankesh's demise.
— Kamal Haasan (@ikamalhaasan) September 7, 2017
शबाना आजमी, जावेद अख्तर और शेखर कपूर जैसी बॉलीवुड की हस्तियों ने जोरदार तरीके से इस हमले की निंदा की है. इस हत्या की देश में व्यापक रूप से आलोचना की जा रही है. जावेद अख्तर ने ट्वीट किया, 'दाभोलकर, पंसारे, कलबुर्गी और अब गौरी लंकेश. अगर एक विचारधारा के लोग मारे जा रहे हैं, तो किस तरह के लोग उन्हें मार रहे हैं. इसके अलावा निर्देशक शेखर कपूर ने लिखा, 'किसी को उसके विचारों के लिए मार देना लोकतंत्र नहीं है, यह एक 'बनाना रिपब्लिक' की शुरुआत है, जहां हिंसा की आवाज, शब्दों से ज्यादा है.' वहीं फिल्ममेकर शिरिश कुंदर ने लिखा, 'जब 'इंटलेक्चुयल' होना एक गाली बन जाए, तब तलवार शब्दों से ज्यादा ताकतवर हो जाती है.'
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HotoN ko see ke dekhiye pachhtaiyega aap/ HungameiN jaag uthate haiN aksar ghutan ke baad #Kaifi Azmi #Gauri Lankesh
— Azmi Shabana (@AzmiShabana) September 6, 2017
Dhabolkar , Pansare, Kalburgi , and now Gauri Lankesh . If one kind of people are getting killed which kind of people are the killers .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) September 5, 2017
हालांकि, ट्विटर पर दक्षिणपंथी राजनीति के कुछ समर्थकों ने कन्नड़ पत्रकार की हत्या का एक तरह से समर्थन करते हुए इसे सही करार दिया. उनका कहना है कि वह इसी लायक थीं. गौरी धर्मनिरपेक्षता व प्रगतिशील मूल्यों में विश्वास रखती थीं और दक्षिणपंथी विचार व राजनीति की आलोचक थीं. वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश को बुधवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई.
(इनपुट आईएएनएस से भी)
VIDEO:प्राइम टाइम: गौरी लंकेश की हत्या के पीछे क्या हमारी कट्टरता नहीं?
...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
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