आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) के छात्रों द्वारा जामिया मिल्लिया इस्लामिया (JMI) के छात्रों के समर्थन में परिसर में 17 दिसंबर को मशहूर शायर फैज अहमद फैज (Faiz Ahmed Faiz) की कविता 'हम देखेंगे' गाई गई थी, जिसके खिलाफ वासी कांत मिश्रा और 16 से 17 लोगों ने आईआईटी निदेशक के पास लिखित शिकायत दी. उन्होंने कहा था कि कविता में कुछ दिक्कत वाले शब्द हैं, जो हिंदुओं की भावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं. इस मामले पर जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने चुप्पी तोड़ी है और मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि फैज अहमद फैज को हिंदू विरोधी कहना बहुत ही बेतुका और अजीब है.
#WATCH Javed Akhtar:Calling Faiz Ahmed Faiz 'anti-Hindu' is so absurd&funny that its difficult to seriously talk about it.He lived half his life outside Pakistan,he was called anti-Pakistan there.'Hum Dekhenge' he wrote against Zia ul Haq's communal,regressive&fundamentalist Govt pic.twitter.com/nOtFwtfjQ9
— ANI (@ANI) January 2, 2020
मीडिया से बातचीत के दौरान जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने फैज अहमद फैज (Faiz Ahmed Faiz) के सिलसिले में बात करते हुए कहा कि इसके बारे में गंभीरता से बात करना बहुत मुश्किल है. जावेद अख्तर ने कहा, "फैज अहमद फैज को 'हिंदू-विरोधी' कहना इतना बेतुका और अजीब है कि इसके बारे में गंभीरता से बात करना भी मुश्किल है. उन्होंने अपना आधा जीवन पाकिस्तान के बाहर गुजारा, उन्हें वहां पाकिस्तान-विरोधी कहा गया. 'हम देखेंगे' उन्होंने जिया-उल-हक के सांप्रदायिक, प्रतिगामी और कट्टरपंथी सरकार के खिलाफ लिखा था."
जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने अपने बयान में आगे कहा, "फैज अहमद फैज (Faiz Ahmed Faiz) प्रोग्रेसिव राइटर मूवमेंट के लीडिंग स्टार थे. हिंदुस्तान में आजादी आई, लेकिन विभाजन हुआ, जिससे लाखों लोग मरे और बेघर भी हुए. उन्होंने मुल्क के विभाजन पर कविता लिखी थी, उसपर दुख जताया था और उनके बारे में ऐसी बातें करना. जिस आदमी ने अपनी जिंदगी के आधे बरस तो पाकिस्तान के बाहर बिताए हैं, जिसे लोगों ने एंटी-पाकिस्तान कहना शुरू कर दिया था. जैसे यहां आपने नफरत के खिलाफ बात की तो आपको भी देशद्रोही कहा जाता है."
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