इतना नजरें झुकाकर न चला करिए...वरना सिर्फ सड़क नजर आएगी...और वैसे ही लोग भी.....आपको पहली बार इतने करीब से देखा है.....आपको पहरेदारी की जरूरत है...' इस डॉयलाग के बोलते ही पूरा हाल सीटियों और तालियों से गूंज उठता है....अपनी साधारण भाषा में दर्शकों के दिल तक उतरने जाने वाले डायलॉग बोलने वाला एक अभिनेता, रंगमंच और सिनेमा जगत का एक बड़ा सितारा आज दुनिया को अलविदा कहकर चला गया है. इरफान खान के शव को अब से थोड़ी देर पहले सुपर्दे-ए-खाक कर दिया गया है. कल उनकी अचानक तबियत बिगड़ गई थी और उन्हें मुंबई के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की भरसक कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहे. इरफान खान के न रहने से बॉलीवुड को एक बड़ा झटका है. अपनी चेहरे, आंखों के एक्सप्रेशन के दम पर शानदार एक्टिंग करने वाले इरफान खान निगेटिव रोल से लेकर हर तरह की भूमिकाओं में जान डाल देते थे. रंगमंच से अभिनय की बारीकियां सीखकर निकले इरफान ने साल 2003 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति पर बनी फिल्म 'हासिल' में रणविजय सिंह का रोल करके उन्होंने सबको हैरत में डाल दिया था. ठेठ इलाहाबादी भाषा में बोले गए उनके डॉयलाग उस समय हर छात्र की जुबां में था.
हालांकि इस फिल्म में उनका रोल निगेटिव था. जिसमें वह निहारिका (हर्षिता भट्ट) नाम की लड़की से एकतरफा प्यार करते हैं. लेकिन निहारिका किसी और लड़के (जिमी शेरगिल) को दिल बैठती है. पूरी कहानी इसी के इर्दगिर्द घूमती है. तीनों ही इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र होते हैं. फिल्म इसके अलावा आशुतोष राणा सहित कई और एक्टर हैं जो आज बड़ी भूमिकाओं में फिल्मों में आते हैं.
फिल्म के सीन में इरफान खान यानी रणविजय सिंह निहारिका से यूनिवर्सिटी कैंपस में मिलते हैं. रणविजय सिंह की छवि यूनिवर्सिटी में ठीक नहीं होती है और निहारिका को उससे मिलते हुआ डर लग रहा था. इतने में निहारिका पर फिदा रणविजय कहता है, 'इतना नजरें झुकाकर न चला करिए...वरना सिर्फ सड़क नजर आएगी...और वैसे ही लोग भी.....आपको पहली बार इतने करीब से देखा है.....आपको पहरेदारी की जरूरत है...' इस डॉयलाग के बोलते ही पूरा हाल सीटियों और तालियों से गूंज उठता है......
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