First Indian Film With Only One Actor: बॉलीवुड का मतलब एंटरटेनमेंट का फुल पैकेज यानी कि फुल मसाला फिल्म जिसमें हीरो हो, हीरोइन हो, विलेन की घुर्राती हुई आवाज सुनाई दे. कहानी को आगे बढ़ाने वाले शानदार गाने हों और धमाकेदार एक्शन हो. इतने मसाले न हों तो फिल्मी मनोरंजन ही पूरा नहीं होता. इस मिजाज की फिल्म इंड्स्ट्री में क्या कोई ऐसी भी फिल्म हो सकती है जिसमें सिर्फ एक्टर हो. ग्लैमर को कोई तड़का न हो और सिर्फ आवाजें ही आवाजें सुनाई देती रहीं. बॉलीवुड में ऐसी यादगार और चैलेंजिंग फिल्म बनाने की हिमाकत की दिग्गज कलाकार सुनील दत्त ने. और उनकी ये हिमाकत दर्शकों को और आलोचकों को पसंद भी आई.
भारत की पहली फिल्म जिसमें था सिर्फ एक एक्टर
सुनील दत्त की एक्टिंग वैसे ही लाजवाब थी. उस उम्दा एक्टिंग और अपने डायरेक्शन की बारीकियों के साथ सुनील दत्त ने एक नया एक्सपेरिमेंट किया. साठ के दशक में सुनील दत्त का ये नायाब प्रयोग यादें फिल्म के रूप में पर्दे पर उतरा. इस फिल्म को फिल्म आलोचकों और कई राष्ट्रीय मंचों से खूब सम्मान और तारीफें मिलीं. फिल्म की खास बात ये थी कि इसमें अकेले सुनील दत्त ही थे. बाकि फिल्म में सिर्फ शेडो ही शेडो नजर आती हैं. दूसरों की आवाजें सुनाई देती हैं लेकिन कोई कलाकार नजर नहीं आता. सुनील दत्त के एक्सप्रेशन और डायलॉग से ही फिल्म आगे बढ़ती है.
यादें फुल मूवी ऑनलाइन
लता मंगेशकर की आवाज में गाने
फिल्म में सिर्फ एक एक्टर था लेकिन गाने फीमेल वॉइस में थे. फिल्म में सिर्फ दो गाने थे जिन्हें लता मंगेशकर की आवाज से सजाया गया था. फिल्म की कहानी एक एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के आसपास घूमती है जिसकी वजह से घर में अक्सर तनाव रहता है. ऐसे हालात में सुनील दत्त अपने घर में अकेले हैं और घर के सन्नाटे को देखकर परिवार के साथ बिताए खुशनुमा पलों को याद कर रहे हैं. सुनील दत्त का कभी खुश होना कभी गुस्सा दिखाना फिल्म में जज्बातों का तूफान लेकर आता है. फिल्म की इसी खासियत के चलते इसे नेशनल अवॉर्ड और फिल्म फेयर अवॉर्ड से भी नवाजा गया था. फिल्म को सुनील दत्त ने ही डायरेक्ट किया था और वसंत देसाई ने इसका म्यूजिक दिया था.
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