Farouque Shaikh के 70वें जन्मदिवस पर गूगल ने बनाया डूडल
नई दिल्ली:
Farouque Shaikh एक ऐसे अभिनेता रहे जो पर्दे पर अभिनय नहीं करते थे, बल्कि उसे जीते थे. फारुख शेख के 70वें जन्मदिन पर गूगल ने उन्हें डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है. आप फारुख शेख को याद करें तो कभी आपके सामने 'चश्मे बद्दूर' का किरदार सिद्धार्थ सामने आ जाएगा, तो कभी नवाबी अंदाज में 'उमराव जान' का नवाब या फिर कभी फिल्म 'साथ-साथ' का बेबस बेरोजगार युवक. फारुख शेख ने 90 के दशक से फिल्मों में काम करना कम कर दिया था और टीवी की ओर रुख कर लिया. फारुख बॉलीवुड और टीवी के ऐसे कलाकार रहे, जो कभी विवादों में नहीं फंसे. फारुख शेख के जन्मदिन के मौके पर एक नजर उनकी जिंदगी से जुड़ी खास 5 बातों पर...
फारुख शेख, श्रीदेवी और देव आनंद में ये बात रही कॉमन, गूगल ने डूडल बनाकर किया याद
1- वकालत छोड़ अपनाया अभिनय
गुजरात के अमरोली में 25 मार्च, 1948 को एक जमींदार परिवार में जन्मे फारुख शेख पांच भाई बहनों में सबसे बड़े थे. उनकी शिक्षा मुंबई में हुई थी. वकील पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए फारुख ने भी शुरुआत में वकालत के पेशे को ही चुना, लेकिन उनके सपने और उनकी मंजिल कहीं और ही थे. वकालत में खुद अपनी पहचान न ढूंढ़ पाए फारुख ने उसके बाद अभिनय को बतौर करियर चुना.
Farouque Shaikh: अभिनय में महारथ रखने वाले फारुख शेख के जन्मदिन पर गूगल ने बनाया डूडल
2- पहली फिल्म फ्री करने के लिए राजी
फारुख शेख ने अपनी पहली फिल्म ‘गर्म हवा(1973)’ में मुफ्त में काम करने को हामी भरी थी. रमेश सथ्यू यह फिल्म बना रहे थे और उन्हें ऐसे कलाकार की जरूरत थी, जो बिना फीस लिए तारीखें दे दें. वैसे, इस फिल्म के लिए फारुख शेख को 750 रु. मिले, लेकिन तुरंत नहीं बल्कि पांच साल बाद.
3- 'उमराव जान' से बनाई पहचान
वह एक ऐसे कलाकार थे, जो अभिनय के हर मंच और छोटे-बड़े हर किरदार को पूरी वफादारी से निभाते थे. पुरुष प्रधान फिल्मों के दौर में भी फारुख ऐसे अभिनेता थे, जिन्हें रेखा पर केंद्रित 'उमराव जान' में एक छोटा-सा किरदार निभाने में भी कोई हिचकिचाहट नहीं थी. फिल्म के पोस्टर पर ही नहीं, बल्कि पूरी फिल्म में भी रेखा ही छाई थीं. लेकिन फारुख ने अपनी भूमिका के साथ पूरा न्याय किया और नवाब सुल्तान के अपने किरदार की अमिट छाप छोड़ दी.
4- 4 दशक में 40 फिल्में
अपने लाजवाब अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले फारुख शेख ने फिल्मों की संख्या की जगह उनकी गुणवत्ता पर ध्यान दिया और यही कारण है कि अपने चार दशक के सिने करियर में उन्होंने लगभग 40 फिल्मों में ही काम किया.
5- टीवी पर छाए फारुख
फारुख ने 90 के दशक के अंत में कई टीवी धारावाहिकों को भी अपने बेहतरीन अभिनय से सजाया, जिनमें सोनी चैनल पर 'चमत्कार', स्टार प्लस पर 'जी मंत्रीजी' आदि शामिल थे. एनडीटीवी द्वारा बनाए गए कार्यक्रम 'जीना इसी का नाम है' में भी फारुख ने काम किया. उन्होंने शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के विख्यात उपन्यास पर आधारित दूरदर्शन धारावाहिक 'श्रीकांत' में भी मुख्य भूमिका निभाई.
VIDEO : 20 साल बाद साथ-साथ आए फारुख और दीप्ति ...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...
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1- वकालत छोड़ अपनाया अभिनय
गुजरात के अमरोली में 25 मार्च, 1948 को एक जमींदार परिवार में जन्मे फारुख शेख पांच भाई बहनों में सबसे बड़े थे. उनकी शिक्षा मुंबई में हुई थी. वकील पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए फारुख ने भी शुरुआत में वकालत के पेशे को ही चुना, लेकिन उनके सपने और उनकी मंजिल कहीं और ही थे. वकालत में खुद अपनी पहचान न ढूंढ़ पाए फारुख ने उसके बाद अभिनय को बतौर करियर चुना.
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2- पहली फिल्म फ्री करने के लिए राजी
फारुख शेख ने अपनी पहली फिल्म ‘गर्म हवा(1973)’ में मुफ्त में काम करने को हामी भरी थी. रमेश सथ्यू यह फिल्म बना रहे थे और उन्हें ऐसे कलाकार की जरूरत थी, जो बिना फीस लिए तारीखें दे दें. वैसे, इस फिल्म के लिए फारुख शेख को 750 रु. मिले, लेकिन तुरंत नहीं बल्कि पांच साल बाद.
3- 'उमराव जान' से बनाई पहचान
वह एक ऐसे कलाकार थे, जो अभिनय के हर मंच और छोटे-बड़े हर किरदार को पूरी वफादारी से निभाते थे. पुरुष प्रधान फिल्मों के दौर में भी फारुख ऐसे अभिनेता थे, जिन्हें रेखा पर केंद्रित 'उमराव जान' में एक छोटा-सा किरदार निभाने में भी कोई हिचकिचाहट नहीं थी. फिल्म के पोस्टर पर ही नहीं, बल्कि पूरी फिल्म में भी रेखा ही छाई थीं. लेकिन फारुख ने अपनी भूमिका के साथ पूरा न्याय किया और नवाब सुल्तान के अपने किरदार की अमिट छाप छोड़ दी.
4- 4 दशक में 40 फिल्में
अपने लाजवाब अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले फारुख शेख ने फिल्मों की संख्या की जगह उनकी गुणवत्ता पर ध्यान दिया और यही कारण है कि अपने चार दशक के सिने करियर में उन्होंने लगभग 40 फिल्मों में ही काम किया.
5- टीवी पर छाए फारुख
फारुख ने 90 के दशक के अंत में कई टीवी धारावाहिकों को भी अपने बेहतरीन अभिनय से सजाया, जिनमें सोनी चैनल पर 'चमत्कार', स्टार प्लस पर 'जी मंत्रीजी' आदि शामिल थे. एनडीटीवी द्वारा बनाए गए कार्यक्रम 'जीना इसी का नाम है' में भी फारुख ने काम किया. उन्होंने शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के विख्यात उपन्यास पर आधारित दूरदर्शन धारावाहिक 'श्रीकांत' में भी मुख्य भूमिका निभाई.
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