कहा जाता है कि जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए. दुनिया में ऐसे कई लोग हुए हैं जिन्होंने अपनी छोटी सी जिंदगी में ऐसे बड़े-बड़े काम किए हैं जिनके लिए उन्हें आने वाली पीढ़ियां हमेशा याद करती हैं. हमारे हिन्दी फिल्मों की दुनिया यानी बॉलीवुड में भी कुछ ऐसे कलाकार हुए हैं जिन्होंने अपने छोटे से करियर में ही अपने काम की ऐसी अमिट छाप छोड़ी है कि उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता. यहां हम ऐसे कलाकारों की बात करेंगे जिन्होंने जीवन के 4 दशक पार करने से पहले ही दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन इनका काम आज भी हमें इन्हें भूलने नहीं देता.
गुरुदत्त
इस फेहरिस्त में पहला नाम गुरुदत्त का आता है. 9 जुलाई 1925 को जन्मे गुरुदत्त ने साल 1964 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया. अपने 40 साल से भी कम जीवन में गुरुदत्त ने प्यासा, कागज के फूल, साहिब बीबी और गुलाम और चौदहवीं का चांद जैसी बेहतरीन फिल्में बनाई. इस महान फिल्मकार की बनाई कई फिल्में कल्ट क्लासिक का दर्जा रखती हैं. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी गुरुदत्त की फिल्मों को सराहा गया. इतनी कामयाबी के बावजूद इनका निजी जीवन काफी कशमकश भरा रहा.
मीना कुमारी
ट्रेजडी क्वीन के नाम से मशहूर मीना कुमारी की कहानी भी कुछ हद तक गुरुदत्त से मिलती है. बेहद सफल फिल्मी करियर, लेकिन निजी जीवन में ट्रेजडी की कमी न थी. पाकीजा, साहिब बीबी और गुलाम, मंझली दीदी, दिल एक मंदिर जैसी फिल्मों में श्रेष्ठ अभिनय के लिए पुरस्कार जीतकर देश-विदेश में नाम कमाया. आज भी उनका अभिनय नवोदित अभिनेत्रियों को प्रेरणा देता है. लेकिन शराब की लत के चलते लीवर के कैंसर से 39 साल की उम्र में ही मीना कुमारी ने दुनिया छोड़ दी.
मधुबाला
मधुबाला का नाम निर्विवाद रूप से देश की सबसे सुंदर महिलाओं में शुमार किया जाता है. 14 फरवरी, 1933 को जन्मी मधुबाला की मृत्यु 23 फरवरी, 1959 को हुई, 36 साल की छोटी सी जिंदगी में वह हिन्दी सिनेमा को बहुत कुछ दे गई. मुगल-ए-आजम, फागुन, हावड़ा ब्रिज, चलती का नाम गाड़ी में उनकी भूमिकाओं के लिए आज भी उन्हें या किया जाता है.
स्मिता पाटिल
ऐसी अभिनेत्री जिसने महज 31 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया हो, लेकिन आज उनके अभिनय की तुलना हिन्दी सिनेमा की सबसे सशक्त अभिनेत्रियों में की जाती है. चकाचौंध और ग्लैमर से भरी भूमिकाओं के साथ स्मिता पाटिल ने वो रोल भी बखूबी निभाए जिसमें वो खूबसूरती के बजाय सशक्त अभिनय के कारण जानी गईं. निशांत, मंथन, भूमिका, आक्रोश, बाज़ार, अर्थ, अर्ध सत्य जैसी फिल्में आज भी उनके उत्कृष्ट अभिनय क्षमता की गवाही दे रही हैं.
सुशांत सिंह राजपूत
सुशांत का फिल्मी करियर परवान चढ़ने के पहले ही उनके जीवन का अंत हो गया. लेकिन काय पो छे, सोनचिड़िया, एम एस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी, छिछोरे जैसी फिल्मों से उन्होंने बॉलीवुड पर एक छाप छोड़ दी. 1986 में बिहार में जन्मे सुशांत की मृत्यु 2020 में हुई. तब वे 34 साल के थे. सुशांत ने साल 2008 में छोटे पर्दे से अपनी पारी शुरू की थी और 2013 से फिल्मों में सक्रिय हुए थे. लेकिन महज 7 साल के छोटे से करियर में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली थी. सुशांत की असमय मृत्यु उनके लाखों चाहने वालों के लिए एक बड़ा झटका था.
Richa Chadha ने कहा- NRI प्रेम कहानियों का दौर गया, महंगाई से पड़ता है फर्क
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं