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This Article is From Jun 04, 2020

'चिंटू का बर्थडे' पर देवांशु और सत्यांशु ने की NDTV इंडिया से बातचीत, बोले- हमने ऐसे एक्टर्स चुने थे, जिन्हें...

देवांशु कुमार (Devanshu Singh) और सत्यांशु सिंह (Satyanshu Singh) ने एनडीटीवी इंडिया से 'चिंटू का बर्थडे' (Chintu Ka Birthday) को लेकर खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने फिल्म के बारे में काफी कुछ बताया.

'चिंटू का बर्थडे' पर देवांशु और सत्यांशु ने की NDTV इंडिया से बातचीत, बोले- हमने ऐसे एक्टर्स चुने थे, जिन्हें...
'चिंटू का बर्थडे' (Chintu Ka Birthday) पर सत्यांशू सिंह और देवांशु कुमार ने की एनडीटीवी इंडिया से बातचीत
नई दिल्‍ली:

बॉलीवुड राइटर सत्यांशु (Satyanshu Singh) और देवांशु सिंह (Devanshu Singh) के निर्देशन में बनी फिल्म 'चिंटू का बर्थडे' (Chintu Ka Birthday) को रिलीज होने में बस कुछ ही वक्त बचा है. यह कहानी बगदाद में फंसे बिहारी परिवार की है, जो अपने बेटे चिंटू का छठा जन्मदिन बहुद ही धूमधाम से मनाना चाहते हैं. लेकिन तभी वहां अमरीकी पुलिस आ जाती है, जिससे चिंटू का बर्थडे नहीं मना पाते. फिल्म का ट्रेलर और इसके डायलॉग ने लोगों का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. इस फिल्म को लेकर लेखक व निर्देशक देवांशु कुमार और सत्यांशु सिंह ने एनडीटीवी इंडिया से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने फिल्म के बारे में काफी कुछ बताया. 

'चिंटू का बर्थडे' (Chintu Ka Birthday) के बारे में बात करते हुए निर्देशक सत्यांशु सिंह (Satyanshu Singh) ने कहा, "हम फिल्म के जरिए बताना चाहते हैं कि जिंदगी में मुश्किलें बहुत आती हैं, अगर हम साथ में मिल-जुलकर रहेंगे तो हम एक-दूसरे की अच्छाई से कुछ सीखेंगे और छोटी-छोटी चीजों को सेलिब्रेट कर सकेंगे. क्योंकि जिंदगी में यही चीजें काम आती हैं. हम इसके जरिए एक कहानी सुनाना चाहते हैं." फिल्म इराक की कहानी से संबंधित है, इसके बारे में बात करते हुए डायरेक्टर देवांशु ने कहा, "बात 2006 से 2007 की है जब यूएस और इराक युद्ध चल रहा था. तब आए दिन वहां की खबरें आती थीं. तब सत्यांशु को आइडिया आया कि ऐसी कहानी बनाई जाए कि एक बिहारी परिवार है जो बगदाद में फंसा है. एक दिन की कहानी है, जब परिवार में छोटे बच्चे का जन्मदिन है. ये आइडिया उन्होंने मुझे बताया और हमें लगा कि यह कहानी कही जा सकती है, जो वॉर के बारे में है और बीच की है. लेकिन कहानी आपको हंसा भी सकती है और रुला भी सकती है."

फिल्म में कई विदेशी कलाकार भी शामिल हैं, साथ ही बच्चे भी हैं. ऐसे में उनके साथ काम करने के अनुभव के बारे में देवांशु सिंह (Devanshu Singh) ने बताया, "यह ख्याल अपने आप में चुनौती थी, क्योंकि आप एक नहीं तीन भाषा हिंदी, इंग्लिश और अरबी में फिल्म बना रहे हैं. फिल्म का प्रोसेस हमारे लिए चुनौतीपूर्ण नहीं बना, क्योंकि हमने एक्टर्स ऐसे चुने. हमने उन्हें चुना, जिन्हें मेहनत करना पसंद है. चाहे वे अमरीकी सिपाही हों या इराकी बच्चे, वे सीधा सेट पर आए थे और हमने काम शुरू किया था. उन्हें भी पता था कि वह किस परिस्थिति में जा रहे हैं. बच्चे-बच्चे ने अरेबिक डायलॉग याद किये थे. खास बात तो यह है कि जितना उन्हें डायलॉग के लिए वक्त दिया गया था, उससे कम में ही उन्होंने तैयार कर लिया था. जब हम मेहनत करते हैं तो चीजें अपने आप आसान हो जाती हैं."

सत्यांशु सिंह (Satyanshu Singh) ने अमेरिकन कलाकारों के बारे में बताया कि वह हॉलीवुड में काम करते थे और जब वह हमारे सेट पर पहुंचे तो वह हैरान थे, क्योंकि चीजें काफी अलग थीं. लेकिन उनके काम का डेडिकेशन इतना अच्छा दिखा कि वह जल्दी ही हमारे हो गए. फिल्म के निर्देशन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हमने अपने काम बांट लिए थे. हम एक निर्णय के साथ जाते हैं, कि कौन सा डिपार्टमेंट कौन संभालेगा. सिनेमा पर लॉकडाउन के असर के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि अभी भी कुछ साफ नहीं है कि चीजें कब ठीक होंगी. दुनिया में जो अच्छे फिल्मकार हैं वे जीवन पर फिल्म बनाते हैं. ऐसे में लेखक और निर्देशक को समय गया है कि वे अपने काम को पहचान सकें. क्योंकि ऐसा मौका दोबारा नहीं मिलता. ऐसे में अगर हम खुद पर काम करेंगे तो जब भी चीजें ठीक होंगी तो हम तैयार रहेंगे. देवांशु सिंह ने इस बारे में कहा, "यहां सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं है, लोगों के रोजगार की भी बात आ जाती है. चीजें संभलेंगी, लेकिन अभी जिंदगी को प्राथमिकता देनी ज्यादा जरूरी है."
 

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