डैनी डेंजोग्पा (फाइल फोटो)
मुंबई:
डैनी डेंजोग्पा का जन्म 25 फरवरी, 1948 को हुआ था और आज वे 70 साल के हो गए हैं. इस उम्र में भी उनकी कमाल की फिटनेस है और वे ‘नाम शबाना’ में नजर आए थे. ‘अग्निपथ’ के विलेन कांचा चीना के नाम से मशहूर डैनी का जन्म सिक्किम के गंगटोक में हुआ था. उनकी स्कूली शिक्षा नैनीताल में हुई जबकि उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई दार्जिलिंग में पूरी की. डैनी को घोड़ों का शौक है और उनका परिवार हॉर्स ब्रीडिंग के काम से जुड़ा हुआ था. यही नहीं, वे एक अच्छे लेखक, पेंटर, मूर्तिकार और एक्टर होने के साथ-साथ सिंगर भी हैं. कहा जाता है कि ‘शोले’ फिल्म के गब्बर सिंह के लिए अमजद खान नहीं बल्कि डैनी पहली पसंद थे.
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बताया जाता है कि रमेश सिप्पी ‘शोले’ में गब्बर सिंह के रोल के लिए डैनी को कास्ट करना चाहते थे. लेकिन डैनी उन दिनों फिरोज खान की ‘धर्मात्मा’ की शूटिंग के लिए बाहर गए हुए थे. जिस वजह से ये रोल अमजद खान को मिल गया, और इस रोल के साथ अमजद खान भारतीय फिल्म इतिहास के सबसे यादगार विलेन बन गए. वर्ना गब्बर सिंह का रोल डैनी निभाते.
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डैनी का सपना इंडियन आर्मी जॉइन करने का था. खास यह कि वे गणतंत्र दिवस की परेड में भी शामिल हो चुके थे. एक साक्षात्कार में डैनी ने बताया था कि उनका चयन पुणे के आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज में हो गया था लेकिन उन्होंने फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की खातिर इसे छोड़ दिया था. उन्होंने जया बच्चन के कहने पर अपना नाम आसान बनाने के लिए डैनी रख लिया था, वर्ना उनका पूरा नाम शेरिंग फिंत्सो डेंजोग्पा था.
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उनकी पहली फिल्म बी.आर इशारा की ‘जरूरत’ थी लेकिन उन्हें पहचान गुलजार की ‘मेरे अपने’ से मिली जो 1971 में रिलीज हुई थी. लेकिन पहली बार विलेन वे 1973 में ‘धुंध’ फिल्म से बने और फिर हमेशा विलेन के अंदाज में नजर आते रहे.
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बताया जाता है कि रमेश सिप्पी ‘शोले’ में गब्बर सिंह के रोल के लिए डैनी को कास्ट करना चाहते थे. लेकिन डैनी उन दिनों फिरोज खान की ‘धर्मात्मा’ की शूटिंग के लिए बाहर गए हुए थे. जिस वजह से ये रोल अमजद खान को मिल गया, और इस रोल के साथ अमजद खान भारतीय फिल्म इतिहास के सबसे यादगार विलेन बन गए. वर्ना गब्बर सिंह का रोल डैनी निभाते.
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डैनी का सपना इंडियन आर्मी जॉइन करने का था. खास यह कि वे गणतंत्र दिवस की परेड में भी शामिल हो चुके थे. एक साक्षात्कार में डैनी ने बताया था कि उनका चयन पुणे के आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज में हो गया था लेकिन उन्होंने फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की खातिर इसे छोड़ दिया था. उन्होंने जया बच्चन के कहने पर अपना नाम आसान बनाने के लिए डैनी रख लिया था, वर्ना उनका पूरा नाम शेरिंग फिंत्सो डेंजोग्पा था.
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उनकी पहली फिल्म बी.आर इशारा की ‘जरूरत’ थी लेकिन उन्हें पहचान गुलजार की ‘मेरे अपने’ से मिली जो 1971 में रिलीज हुई थी. लेकिन पहली बार विलेन वे 1973 में ‘धुंध’ फिल्म से बने और फिर हमेशा विलेन के अंदाज में नजर आते रहे.
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