नेताजी सुभाषचंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की 123वीं जयंती पर गुरुवार को फिल्मकार कबीर खान (Kabir Khan) ने उस हीरो के बारे में खुलकर बात की, जिन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाने के बाद भी उन्हें भुला दिया गया. कबीर खान की नई वेब सीरीज 'द फॉरगोटेन आर्मी : आजादी के लिए (The Forgotten Army: Azadi Ke Liye)' की कहानी बोस की आजाद हिंद फौज और इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) पर आधारित है. कबीर खान (Kabir Khan) ने कहा, "आईएनए एक बड़ा विषय है और अगर आप नेताजी के बारे में बात कर रहे हैं तो वह सबसे बड़ा विषय है. हमारी कहानी साल 1942 से 1945 के बीच क्या हुआ था और जिस सेना का गठन किया गया था, उसका क्या हुआ इस पर केंद्रित है. यह कहानी सैनिकों के नजरिए से उसी आजाद हिंद फौज की है."
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फिल्मकार ने आगे कहा, "अब तक हम आजाद हिंद फौज और पूरे संघर्ष को नेताजी के नजरिए से देखते हैं, लेकिन मेरे ख्याल से ऐसा पहली बार है जब हम इसे सैनिकों के नजरिए से देखेंगे. वो 55,000 महिला, पुरुष कौन थे, जो इस लड़ाई में कूदे थे, उनकी कहानी उनकी प्रेरणा क्या थी? वेब सीरीजी का आधार यही है."
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कबीर खान (Kabir Khan) ने यह भी बताया कि आखिर क्यों भारत की स्वतंत्रता में योगदान देने के बाद भी हमारे इतिहास से नेताजी और आईएनए गायब हैं. फिल्मकार ने कहा, "ये सारी कहानियां भारत में कभी नहीं कही गईं. ब्रिटिश आकाओं ने आजाद हिंद फौज पर सेंसरशिप लगा दी थी, क्योंकि वे जानते थे कि नेताजी (Netaji Subhash Chandra Bose) की क्या करने की योजना थी. नेताजी जानते थे कि ब्रिटिश हुकूमत को खत्म करने के लिए 55,000 लोग काफी नहीं थे. उनकी योजना कोशिश करने की और समर्थन हासिल करने की थी, इसलिए उन्होंने भारत का रुख किया था. वह लोगों के अंदर क्रांति जगाना चाहते थे. दुर्भाग्यवश ऐसा कभी नहीं हुआ. लेकिन अंग्रेजों ने आईएनए को ब्लैकलिस्ट कर दिया और यही वजह है कि उन्हें फॉरगोटेन आर्मी कहा जाता है."
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