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एनिमल की एक्ट्रेस निकली हिम्मतवाली, बताया पहली फिल्म मिली तो एक्टिंग का 'ए' भी नहीं आता था

बॉलीवुड फिल्मों में एक्टिंग को बैकसीट पर रखा जाता है, यह बात एक बार फिर सही साबित हो गई है. एनिमल फेम एक्ट्रेस ने एक इंटरव्यू में बताया है कि उन्हें अपनी पहली फिल्म में एक्टिंग का ए भी नहीं आता था.

एनिमल की एक्ट्रेस निकली हिम्मतवाली, बताया पहली फिल्म मिली तो एक्टिंग का 'ए' भी नहीं आता था
इस एक्ट्रेस को डेब्यू समय नहीं आती थी एक्टिंग
नई दिल्ली:

ये कहना कि मुझे अपनी पहली फिल्म के समय एक्टिंग का ए भी नहीं आता था, कम जिगरे वाली बात नहीं है. इस तरह कहने से जहां बॉलीवुड पर सवालिया निशान लग जाता है कि वह एक्ट्रेस को चुनते समय एक्टिंग से ज्यादा लुक को देखते हैं, वहीं उस सितारे का एक्टिंग टैलेंट भी कई सवालों के घेरे में आ जाता है. लेकिन बॉलीवुड की इस चर्चित अभिनेत्री ने कुछ ऐसा ही बम फोड़ दिया है. यह अभिनेत्री एनिमल और बैड न्यूज जैसी फिल्मों में आ चुकी है और इसकी आने वाली फिल्मों 'विक्की विद्या का वो वाला वीडियो' और 'भूल भुलैया 3' हैं. यह एक्ट्रेस हैं तृप्ति डिमरी. तृप्ति डिमरी ने उस समय सबको हैरत में डाल दिया जब उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें डेब्यू फिल्म के समय एक्टिंग का ए भी नहीं आता था.

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दिल्ली की लड़की तृप्ति डिमरी ने द हॉलीवुड रिपोर्टर इंडिया को दिए इंटरव्यू में बताया, 'मैं कुछ करना चाहती थी. मैं पढ़ाई में कभी भी अच्छी नहीं रही. मैंने अपने पेरेंट्स से कहा कि मैं मॉडलिंग में हाथ आजमाना चाहती हूं. मेरे पेरेंट्स पहले थोड़े घबराए क्योंकि मैं हमेशा दिल्ली में अपने घर में ही रही थी और लोगों से बहुत मिलती भी नहीं थी.' तृप्ति डिमरी ने कई फिल्मों और टीवी सीरियल्स के लिए ऑडिशन दिए. लेकिन उन्हें रोल 2017 की फिल्म पोस्टर बॉयज में मिला. जिसमें सनी देओल और बॉबी देओल जैसे एक्टर थे. तृप्ति डिमरी बताती हैं कि 'मुझे डीओपी का मतलब भी मालूम नहीं था.  मुझे एक्टिंग का ए भी नहीं आता था. इस वजह से मैं अच्छा काम नहीं कर सकी.'

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यही नहीं तृप्ति डिमरी अपनी डेब्यू फिल्म लैला मजनूं के लिए ऑडिशन में रिजेक्ट हो गई थीं. लेकिन डायरेक्टर ने उनको सिर्फ इसलिए एक मौका और दिया क्योंकि उनका लुक कश्मीरी था. इस तरह उन्हें फिल्म मिल गई. तृप्ति बताती हैं 'तब भी, मुझे एक्टिंग नहीं आती थी. मैं अपने निर्देशक साजिद अली और (सह-कलाकार) अविनाश तिवारी के साथ वर्कशॉप में बैठती थी और वे एक्टिंग, बैकस्टोरी और चरित्र चित्रण पर चर्चा करते थे. मैं बस वहीं बैठी रहती, उदास, कुछ भी नहीं जानती. मैं घर जाकर रोती और सोचती, 'क्या मैं सही काम कर रही हूँ?' क्योंकि मुझे समझ नहीं आता था कि वे क्या कह रहे हैं या उनकी भाषा क्या है.'

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