एक्ट्रेस कनी कुसरुती (Kani Kusruti) को हाल ही में 50वें केरल स्टेट फिल्म अवॉर्ड (50th Kerala State Film Awards) में बेस्ट एक्ट्रेस का पुरस्कार देने का ऐलान किया गया है. कनी कुसरुती में इंटरव्यू के दौरान अपने इस पुरस्कार को मलयालम की पहली महिला एक्ट्रेस पी.के. रोजी को समर्पित किया है. 'बिरयानी' का निर्देशन साजिन बाबू (Sajin Babu) ने किया है. इससे पहले कनी कुसरुती 'बिरयानी' के लिए 42 वें मास्को फिल्म समारोह में बेस्ट एक्ट्रेस का पुरस्कार भी जीत चुकी हैं. उन्हें मेड्रिड के इमेजिन फिल्म फेस्टिवल में भी 'बिरयानी' के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का पुरस्कार मिला था. कनी कुसरुती (Kani Kusruti) से 'बिरयानी (Biriyaani)' और उनके फिल्मी करियर को लेकर हुई बातचीत के प्रमुख अंशः
क्या इस पुरस्कार की उम्मीद थी?
इस पुरस्कार ने मुझे वाकई हैरान करके रख दिया, क्योंकि इस वर्ष कई ऐसे एक्टर और साथियों ने शानदार परफॉर्मेंसेस दी, जिनकी मैंने भी तारीफ की है. इंटरनेशन फेस्टिवल और जूरी उनकी प्रशंसा और पुरस्कारों के साथ काफी उदार रहे हैं और मैं भी इसके लिए बहुत आभारी हूं. लेकिन किसी दूसरे पुरस्कार ने मुझे इतनी खुशी नहीं दी है.
फिल्म 'बिरयानी' कई सामाजिक मुद्दों पर रोशनी डालती है. खदीजा का किरदार निभाना और उसमें उतरना कितना मुश्किल था?
मुझे लगता है कि मेरे लिए असली सवाल यह है कि कई दशक अपने हुनर को पूरी शिद्दत और हर कठिनाई के बावजूद मांझते रहना. किसी अस्थायी कामयाबी के कंफर्ट में नहीं जाना या फिर लगातार निराशा से थक नहीं जाना. कई दिन बहुत मुश्किल भरे होते थे तो कुछ दिन यही बातें मुझे आगे बढ़ने को प्रेरित करती थीं, लेकिन कभी चीजें थमी नहीं. मुझे इस कला को सीखने का सौभाग्य मिला जो सर्जन द्वारा सर्जरी सीखने से अलग नहीं थी. मेरा मतलब है कि किसी भी चीज को पूरी तरह से आत्मास करने के लिए पूरी जिंदगी लग जीती है. स्क्रिप्ट, निर्देशक का नजरिया, सेट, मेकअप, कॉस्ट्यूम, सिनेमैटोग्राफी यह सभी चीजें चेहरे और बॉडी की एक मूवमेंट को आगे बढ़ाने और उसे प्रेरित करने के लिए एक साथ आते हैं.
'बिरयानी' की खदीजा के बारे में बताएं जिसके लिए आपने बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड जीता है?
खदीजा को जीवन भर कई चीजों से वंचित रखा गया. समाज में जिसे तबके से वह आती है, उसने उसे लिंग, धर्म और परिवार से जुड़े मामलों में बहुत कम ही आजादी दी है. लेकिन निर्वासन में हालात उसे बदलाव के लिए मजबूर करते हैं. यहां वह अपने तरीके से जीवन जीती है.
इस पुरस्कार को जीतने पर आप कैसा महसूस करती हैं?
मैं अपने इस पुरस्कार को पीके रोजी (P.K. Rosy) को समर्पित करती हूं, जो मलयालम सिनेमा की पहली एक्ट्रेस और भारतीय सिनेमा की पहली दलित एक्ट्रेस हैं. उनका घर सिर्फ इसलिए जला दिया गया था, क्योंकि उन्होंने एक ऊंची जाति की कैरेक्टर को परदे पर उकेरा था और उन्हें अपनी जान बचाकर भागने के लिए मजबूर कर दिया था. मैंने देखा है कि मौजूदा ढांचे में मौजूद गैप के कारण कई कलाकारों को वह किरदार नहीं मिलता है, जिसे वह शानदार तरीके से निभा सकते हैं. मैं उन सभी के साथ अपना यह अवॉर्ड साझा करना चाहती हूं और आशा करती हूं कि जल्द ही हम उस नई संस्कृति का निर्माण करेंगे जो जाति, वर्ग और त्वचा के रंग से ऊपर उठकर हर एक्टर को मौका देगी.
क्या आपको लगता है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री नए टैलेंट और यंग लोगों का स्वागत कर रही है. खासकर एक्ट्रेस का?
हां, यह इंडस्ट्री नए टैलेंट्स को प्रेरित कर रही, लेकिन फिर भी यहां कई गैप मौजूद हैं, जिसमें कुछ जेंडर और जातीय पूर्वाग्रह हैं. कुछ बुनियादी ढांचे के धीरे-धीरे विकसित होने का परिणाम है. मैंने देखा है कि कुछ कलाकार ऐसे हैं जिन्हें वो चीज ऑफर नहीं की जाती, जिसमें वह शानदार हैं. मैं उम्मीद करती हूं कि हम जल्द ही मोशन पिक्चर्स की एक नई संस्कृति का निर्माण करेंगे जो जाति, वर्ग और रंग से ऊपर उठकर सभी एक्टर को समान मौके देगी.
अगर आपको मलयालम फिल्म इंडस्ट्री से और भी मौके मिलें, खासकर कॉमर्शियल सिनेमा से. तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी?
चाहे बॉक्स ऑफिस के फायदे से प्रेरित हो या फिर कला को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से, मलयालम सिनेमा (Malayalam cinema) का सामाजिक जटिलता, चरित्र की बारीकियों और मानवीय स्थिति के गहन अध्यन के साथ फिल्मों का निर्माण करने का इतिहास रहा है. केरल का कॉमर्शियल सिनेमा क्षेत्र के बाकी कमर्शियल सिनेमा से अलग है और मुझे इसका हिस्सा बनकर काफी खुशी होगी.
क्या आपके बॉलीवुड प्रोजेक्ट्स भी कर रही हैं?
इस साल की शुरुआत में मैंने पूजा शेट्टी और नील पागेदर द्वारा निर्देशित और आनंद गांधी द्वारा प्रोड्यूस किए गए शो 'ओके कंप्यूटर' की शूटिंग पूरी की थी. वह जल्द ही डिजनी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज होने वाला है. मैंने प्रशांत नायर की फिल्म 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' में भी भूमिका अदा की है जिसका ट्रिबेका फिल्म फेस्टिवल में भी प्रीमियर होने वाला है. इसके अलावा कई बॉम्बे बेस्ड प्रॉजेक्ट भी हैं.
आपके करियर का सबसे मुश्किल दौर कौन-सा था?
किसी भी एक्टर के लिए सबसे बड़ी चुनौती टाइप कास्ट और किसी छोटी सी कैटेगरी के लिए उसे सीमित कर देना है. किसी एक तरह के के सिनेमा से जुड़े होने की 'छवि' के कारण मेरे साथियों और मुझे भी उन कई किरदारों के लिए मना कर दिया गया था. जिसके लिए हम पूरी तरह से परफेक्ट थे. यह समय मेरे लिए सबसे मुश्किल दौर था.
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