अगले हफ्ते से शुरू होने वाले कान्स फिल्म फेस्टिवल में दुनिया के सबसे बड़े फिल्म मार्केट Marché du Film में भारत की एक एनीमेशन फिल्म है. कोलकाता में जन्मे फिल्म निर्माता उपमन्यु भट्टाचार्य की फिल्म हेरलूम, अहमदाबाद की प्रसिद्ध हथकरघा विरासत को फिर से दिखाती है जो आज आधुनिक मशीनों की वजह से खतरे में है. कोलकाता में जन्मे भट्टाचार्य, जिन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी), अहमदाबाद में एनीमेशन फिल्म मेकिंग की पढ़ाई की है, पूर्व का मैनचेस्टर कहे जाने वाले अहमदाबाद की सदियों पुरानी कपड़ा परंपरा और भारत के एनीमेशन फिल्म इंडस्ट्री पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान केंद्रित करेंगे.
परंपरा बनाम आधुनिकता
60 के दशक में अहमदाबाद में स्थापित एक पीरियड ड्रामा हेरलूम एक युवा जोड़े की कहानी बताती है जिनका जीवन तब बदल जाता है जब उन्हें गलती से यादों और कहानियों के माध्यम से अपने पूरे परिवार के इतिहास को दिखाने वाली एक टेपेस्ट्री मिल जाती है. हिंदी और अंग्रेजी भाषा में आ रही ये फिल्म कीर्ति के संघर्ष को दिखाती है. पति जो हथकरघा संग्रहालय बनाने में बहुत पैसा खर्च करता है और उसकी पत्नी सोनल जो सोचती है कि उन्हें अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए पावरलूम व्यवसाय में शुरुआत करनी चाहिए.
2014 में एनीमेशन फिल्म डिजाइन में एनआईडी से पढ़ाई पूरी करने वाले भट्टाचार्य कहते हैं, "पूरी फिल्म बैग्राउंड को कागज पर पेंट और पेंसिल का इस्तेमाल करके हाथ से चित्रित किया गया है. जबकि कैरेक्टर एनीमेशन डिजिटल रूप से बनाया गया है."
एनीमेशन और अहमदाबाद
"अहमदाबाद पहला शहर था जिसे अकेले खोजने का आनंद मुझे मिला और जिस शहर को मैंने चित्रित करना शुरू किया. जब हमने इमारतों को बनाना सीखा तो यह पुराने शहर के घर थे जिनका हम ड्राफ्ट बना रहे थे.
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