बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को इंडस्ट्री का महानायक कहा जाता है. उन्होंने 1970 के दशक से अब तक दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया है. लेकिन उनकी जिंदगी में एक ऐसा दौर भी आया जब उनकी सांसें थमने की कगार पर थीं. यह घटना जुलाई 1982 की है, जब अमिताभ मनमोहन देसाई की फिल्म ‘कुली' की शूटिंग कर रहे थे. शूटिंग बेंगलुरु में चल रही थी. एक एक्शन सीन की शूटिंग के वक्त अमिताभ को पेट के भीतरी हिस्सों में गंभीर चोट लगी. उनकी हालत इतनी नाजुक हो गई कि डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया था. उस वक्त देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने बेटे राजीव गांधी के साथ मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनसे मिलने पहुंचीं.
अमिताभ के ससुर अरुण कुमार भादुड़ी का संस्मरण
अरुण कुमार भादुड़ी ने बताया, “लखनऊ में जब हमें यह खबर मिली, मेरी पत्नी बेचैन हो उठीं और फौरन मुंबई जाना चाहती थीं. वहां पहुंचते ही कई परिचित-अपरिचित लोग मिले. सभी एक स्वर में कह रहे थे, ‘पूरे देश ने जाति-धर्म भुलाकर उनके लिए दुआ मांगी है. अमिताभ को कुछ नहीं होगा.' उस रात मुझे पूरा यकीन था कि अगर प्रार्थना में कोई ताकत है, तो वे बच जाएंगे.”
जया की मां का बेहोश होना
अगले दिन जया हमें अस्पताल के आईसीयू में ले गईं. वहां अमिताभ बिस्तर पर थे. शरीर में कई नलियां लगी थीं, गाल धंसा हुआ, चेहरा सूजा हुआ, आंखें गहरी. मेरी पत्नी उन्हें देखते ही वहीं गिर पड़ीं. अमिताभ ने धीमी आवाज में कहा, ‘हैलो बाबा, मुझे नींद नहीं आ रही.' मैंने कहा, ‘फिक्र मत करो, तुम सो जाओगे,' हालांकि मुझे पता था कि यह महज सांत्वना है.
इंदिरा गांधी का भावुक पल
दो दिन बाद इंदिरा गांधी और राजीव गांधी अलग-अलग समय पर अस्पताल पहुंचे. अमिताभ ने इंदिरा गांधी से फिर वही बात कही, ‘आंटी, मुझे नींद नहीं आ रही.' इंदिरा गांधी भावुक हो गईं और रोते हुए बोलीं, ‘नहीं बेटा, तुम सो जाओगे. मुझे भी कई बार नींद नहीं आती, तो क्या हुआ.' जया के पिता ने अमिताभ का बचना मेडिकल साइंस का चमत्कार बताया था.
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