बॉलीवुड में समय समय पर ऐसे एक्टर आए हैं, जो अपने वर्सेटाइल हुनर के जरिए बॉक्स ऑफिस पर छा गए हैं. ऐसा ही एक एक्टर था जिसने अपने जमाने में हर तरह के रोल किए. ये एक्टर हीरो बनने आया था लेकिन बन गया सुपरहिट विलेन. विलेन के रूप में ये इतना मशहूर हो गए कि इन्हें साइन करने के लिए प्रोड्यूसर इंतजार किया करते थे. लेकिन ऐसा भी एक वक्त आया जब एक फिल्म से इनकी विलेन की इमेज गुड मैन के रूप में बदल गई. महज एक फिल्म ने इसकी इमेज को रातों रात बदल डाला और राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार को भी इनको चुनौती मिलने लगी थी. कहते हैं कि जिस फिल्म में राजेश खन्ना होते थे, उस फिल्म में इन्हें लेना मुश्किल हो जाता था.
मनोज कुमार की इस फिल्म ने बदल दी प्राण की इमेज
जी हां, बात हो रही है हरफनमौला प्राण साहब की. प्राण साहब आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन साठ के दौर में उनका डंका बोलता था. राम और श्याम, मिलन, डॉन और जंजीर जैसी फिल्मों के जरिए प्राण ने अपनी एक्टिंग के झंडे गाड़ दिए. इसके बाद उनकी इमेज खूंखार विलेन की बन चुकी थी. लेकिन 1967 में मनोज कुमार की फिल्म उपकार ने रातों रात उनकी इमेज बदल डाली. इस फिल्म में प्राण साहब का मलंग दादा का इतना बढ़िया रोल था कि वो देखते ही देखते बैड विलेन से गुड मैन बन गए. इसके बाद प्राण साहब को अलग नजर से देखा जाने लगा और उनको मिलने वाले किरदार भी शानदार हो गए.
हीरो के बराबर फीस लिया करते थे प्राण
ये वो वक्त था जब प्राण एक हीरो के बराबर फीस लिया करते थे. अगर प्रोड्यूसर किसी फिल्म में राजेश खन्ना को ले रहे हैं तो प्राण साहब को लेने की हिम्मत नहीं कर पाते थे. प्राण साहब का किरदार हीरो को टक्कर देने वाला था और ऐसे में उनकी फीस भी ज्यादा होती थी. इतना ही नहीं लोग प्राण को देखने के लिए सिनेमा हॉल जाते थे. कई हीरो ऐसे भी रहे जिन्हें फिल्म में प्राण का रोल देखकर हीरो का रोल करने में परेशानी होने लगी थी.
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