बिहार में 15 दिनों में 10 पुल ढह क्यों ढह गए? अधिकारी ने किया असली कारण का खुलासा

एक अधिकारी ने बताया कि बिहार में रिकॉर्ड संख्या में पुलों के ढहने के पीछे कारण नदियों से अत्यधिक गाद हटाना हो सकता है.

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पटना:

बिहार (Bihar) में मानसून के मौसम में एक महीने से भी कम समय में 15 दिनों में रिकॉर्ड-तोड़ 10 पुलों (Bridges) के ढहने की घटना ने इनके निर्माण की गुणवत्ता और इस्तेमाल की गई सामग्री की ओर ध्यान आकर्षित किया है. हालांकि अधिकारियों ने एनडीटीवी को बताया कि इसका असली कारण कुछ और हो सकता है. 

मानसून की तैयारियों के तहत राज्य में नदियों के हिस्सों की ड्रेजिंग और डिसिल्टिंग के लिए कॉन्ट्रेक्ट दिए गए थे. यह काम अवैज्ञानिक तरीके से किया गया. इसके कारण पुल ढह गए. यह बात ठेकेदारों और प्रशासन की चूक की ओर इशारा करती है.

एक अधिकारी ने बताया कि नदियों से गाद निकालने के दौरान पुलों के खंभों के आसपास से मिट्टी और गाद भी हटा दी गई. इससे पुलों का आधार कमजोर हो गया. नदी के तल से मिट्टी, पत्थर और अन्य सामग्री को हटाने के लिए ड्रेजिंग भी की गई, ताकि पानी का प्रवाह बढ़ाया जा सके. लेकिन इससे तटबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में नहीं रखा गया.

अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर पुलों के नीचे पानी सिर्फ मानसून के दौरान ही तेजी से बहता है. बिहार में भारी बारिश ने इन कमजोरियों को उजागर कर दिया है. कुछ मामलों में सहारे की कमी के कारण खंभे ढह गए. अन्य मामलों में ड्रेजिंग के कारण तेज बहाव वाली नदियों ने तटबंधों को काट दिया. इससे पुलों के ऊपरी हिस्से का सहारा खत्म हो गया.

जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने कहा, "यह दुर्घटनाएं मिट्टी हटाने के कारण हुईं. हम कार्रवाई करेंगे. सरकार पुलों के रखरखाव पर एक व्यापक नीति लेकर आ रही है." 

पिछले एक पखवाड़े में ढहे 10 पुल सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में थे. विपक्ष ने सरकार पर हमला किया है और बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता से उसे अप्रत्याशित समर्थन मिला है.

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आरजेडी नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों ही बिहार में हुई इन घटनाओं पर चुप हैं. सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार के दावों का क्या हुआ? यह घटनाएं बताती हैं कि राज्य सरकार के हर विभाग में भ्रष्टाचार किस तरह व्याप्त है." 

बीजेपी के पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ निखिल आनंद ने कहा है कि उन्हें राज्य में किसी भी पुल को पार करने में "डर" लगता है.

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उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "मुझे बिहार में किसी भी फ्लाईओवर या पुल से गुजरने में डर लगता है. आश्चर्य है कि पिछले 10 दिनों में आधा दर्जन पुल ढह गए हैं. इसकी गंभीर जांच और ऑडिटिंग की जरूरत है. निर्माण कंपनी पर जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए, उन्हें ब्लैक लिस्ट किया जाना चाहिए. इंजीनियरों पर केस दर्ज किया जाना चाहिए." 

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के सभी पुराने पुलों के सर्वेक्षण का आदेश दिया है. पुल ढहने की जांच की जा रही है.

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