सिमरी बख्तियारपुर: मुकेश सहनी को हराकर राजद उम्‍मीदवार ने फहराया था परचम, जानें इस बार क्‍या हैं मुद्दे

सिमरी बख्तियारपुर सीट 2005, 2010 और 2015 में जदयू के कब्जे में रही. वहीं 2019 के उपचुनाव में राजद के युसुफ सलाउद्दीन ने जीत हासिल कर समीकरण बदल दिए और 2020 के चुनाव में भी उन्होंने वीआईपी के मुकेश सहनी को हराकर सीट अपने पास रखी.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • बिहार के सहरसा जिले की सिमरी बख्तियारपुर सीट खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है.
  • इस सीट पर अब तक कांग्रेस ने आठ बार, जदयू ने चार बार और राजद ने हाल के चुनावों में जीत हासिल की है.
  • 2020 में राजद के युसुफ सलाउद्दीन ने मुकेश सहनी को हराकर इस क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण बदल दिए.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
पटना :

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की गहमागहमी में सहरसा जिले की सिमरी बख्तियारपुर सीट राजनीतिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक समीकरणों के लिहाज से भी बेहद अहम है. यह खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है.  सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल स्तरीय कस्बा है, जो आसपास के गांवों को बड़े बाजारों से जोड़ने का मुख्य केंद्र है. यह सहरसा जिले का दूसरा सबसे बड़ा बाजार माना जाता है. मखाने की खेती यहां की पहचान बन चुकी है, जिसकी मांग देश से लेकर विदेश में भी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि मखाना खेती ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार दिया है. इसके अलावा चावल मिल और ईंट भट्ठे जैसे लघु उद्योग भी लोगों को रोजगार मुहैया कराते हैं. 

भौगोलिक स्थिति की बात करें तो सहरसा मुख्यालय यहां से 20 किमी, मधेपुरा 30 किमी, खगड़िया 45 किमी, मुंगेर 83 किमी और बेगूसराय 106 किमी दूर है. राज्य की राजधानी पटना की दूरी लगभग 190 किमी है. सिमरी बख्तियारपुर राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे स्टेशन से जुड़ा होने के कारण बेहतर कनेक्टिविटी रखता है.

आठ बार कांग्रेस ने दर्ज की है जीत

सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा की स्थापना 1951 में हुई थी और 1952 में पहली बार चुनाव संपन्न हुआ. हालांकि पहले परिसीमन आयोग की सिफारिश पर यह सीट खत्म कर दी गई थी, लेकिन 1967 में दोबारा स्थापित हुई और 1969 से यहां नियमित रूप से चुनाव हो रहे हैं. अब तक यहां 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2009 और 2019 के दो उपचुनाव भी शामिल हैं. इस सीट पर कांग्रेस ने सबसे अधिक आठ बार जीत हासिल की है. जदयू चार बार विजयी रहा है, जबकि राजद ने 2019 के उपचुनाव में पहली बार कब्जा जमाया और 2020 में भी अपनी पकड़ बरकरार रखी. इसके अलावा संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और जनता दल ने एक-एक बार जीत दर्ज की है. 

राजद उम्‍मीदवार ने मुकेश सहनी को हराया 

2005, 2010 और 2015 में यह सीट जदयू के कब्जे में रही, जिसमें दिनेश चंद्र यादव ने लगातार मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई. वहीं 2019 के उपचुनाव में राजद के युसुफ सलाउद्दीन ने जीत हासिल कर समीकरण बदल दिए और 2020 के चुनाव में भी उन्होंने वीआईपी के मुकेश सहनी को हराकर सीट अपने पास रखी. इससे यह साफ है कि अब इस क्षेत्र में भाजपा की प्रत्यक्ष मौजूदगी उतनी दमदार नहीं है और मुख्य मुकाबला जदयू और राजद के बीच ही देखने को मिलता है.

2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा की अनुमानित जनसंख्या 5,91,400 है. इसमें 3,02,767 पुरुष और 2,88,633 महिलाएं शामिल हैं. वहीं, कुल मतदाता संख्या 3,51,506 है, जिनमें 1,82,540 पुरुष, 1,68,950 महिलाएं और 16 थर्ड जेंडर मतदाता हैं.

सिमरी बख्तियारपुर में ये मुद्दे हैं अहम 

यहां का राजनीतिक समीकरण जातिगत आधार पर काफी हद तक प्रभावित होता है. यादव, मुस्लिम, कुशवाहा और दलित वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यही वजह है कि राजद को यहां सामाजिक आधार मिला, जबकि जदयू ने विकास और व्यक्तिगत छवि पर चुनावी जीत दर्ज की.

Advertisement

स्थानीय मुद्दों की बात करें तो बाढ़ नियंत्रण, मखाना उद्योग को बढ़ावा, सड़क-रेल कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सुविधाएं और युवाओं को रोजगार जैसे मुद्दे चुनावी बहस का केंद्र बने हुए हैं. जनता इस बार उन प्रत्याशियों की ओर झुक सकती है जो बाढ़ और पलायन जैसी गंभीर समस्याओं का ठोस समाधान पेश करेंगे.
 

Featured Video Of The Day
Bihar Elections 2025: चुनाव से पहले महागठबंधन में तकरार, एक सीट पर उतारे दो-दो उम्मीदवार