शराबबंदी कानून: सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद नीतीश सरकार ने बदले नियम, पहली बार पकड़े जाने पर अब नहीं होगी जेल

सुप्रीम कोर्ट, पिछले कुछ महीनों के दौरान इस क़ानून के कारण कोर्ट पर बढ़े दबाव पर नाराज़गी भी ज़ाहिर कर चुका है.

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नीतीश सरकार ने विधानसभा में बिहार मद्य निषेध और उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 को मंजूरी दी
पटना:

Bihar News:बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar)2016 में जब से शराबबंदी क़ानून लाए हैं, निचली अदालत, हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में इससे संबंधित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट, पिछले कुछ महीनों के दौरान इस क़ानून के कारण कोर्ट पर बढ़े दबाव पर नाराज़गी भी ज़ाहिर कर चुका है. इसके मद्देनज़र नीतीश सरकार ने बुधवार को बिहार विधानसभा में बिहार मद्य निषेध और उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 को पास कर दिया गया, इसमे कई बदलाव किए गए हैं.ताजा प्रावधानों के तहत पहली बार शराब के साथ या शराब पीकर पकड़े जाने पर आरोपी व्यक्ति को जेल में नहीं डाला जाएगा, उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा. यह मजिस्ट्रेट के ऊपर निर्भर करता है कि वह 5 हजार से लेकर 50हजार रुपये तक के बीच में एक राशि जुर्माने के तौर पर लगा सकते हैं. जुर्माना लेकर और वार्निंग देकर इन आरोपी को छोड़ा जाएगा. यदि वही आरोपी दूसरी बार शराब के साथ या शराब पीकर पकड़ा जाता है तो उसे जुर्माना और वार्निंग देकर छोड़ा जाएगा लेकिन जैसे ही वही आरोपी तीसरी बार शराब लेकर या फिर शराब पीकर पकड़ा जाता है तो उस पर पुराना कानून लागू होगा और उसे जेल हो जाएगी.

इस विधेयक के द्वारा शराब बंदी क़ानून में किए कई बदलाव जा रहे हैं. शराब पिए हुए पकड़े गए व्यक्ति को नजदीकी कार्यपालक मजिस्ट्रेक के समक्ष पेश किया जाएगा. पहली बार शराब पीकर पकड़े जाने पर जेल नहीं जाना होगा. पहली बार पकड़े जाने पर पकड़ा गया आरोपी मजिस्ट्रेट के सामने ही जुर्माना देकर छूट सकता है.  जुर्माना नहीं देने की स्थिति एक महीने की सजा हो सकती है. बार-बार पकड़े जाने पर जेल और जुर्माना दोनों होगा.जुर्माने की राशि राज्य सरकार तय करेगी. पुलिस को मजिस्ट्रेट के सामने जब्त सामान नहीं पेश करना होगा. पुलिस पदाधिकारी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पेश कर सकते हैं. नमूना सुरक्षित रखकर जब्त शराब और अन्य सामान को नष्ट किया जा सकेगा. डीएम के आदेश तक जब्त वस्तुओं को सुरक्षित रखना जरूरी नहीं है. मामले की सुनवाई एक साल के अंदर पूरी करनी होगी. धारा-37 में सजा पूरा कर चुका आरोपी जेल से छूट जाएगा. तलाशी, जब्ती, शराब नष्ट करने को लेकर भी विशेष नियम हैं.

संशोधित विधेयक के मेन प्वाइंट्स ये हैं...

1. सेक्शन 2 के सब सेक्शन 40 में क्लॉज 9 जोड़ा जा रहा है. इसके अनुसार ऐसा कोई भी पदार्थ मादक द्रव्य की श्रेणी में आएगा जिसको शराब में बदला जा सके.

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2. सेक्शन 2 के ही सब सेक्शन 50 में एक नया सब सेक्शन 50A जोड़ा जा रहा है, जिसमें 'अवैध शराब की बिक्री के संगठित अपराध' को परिभाषित किया गया है.

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3. सबसे महत्वपूर्ण बदलाव सेक्शन 37 में करने की तैयारी है. शराब का उपयोग करने में तीन प्रकार के बदलाव होने हैं.

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a. शराब और किसी भी प्रकार के नशे की हालत में पाए जाने पर राज्य सरकार की तरफ से तय किया गया जुर्माना देना होगा. जुर्माना नहीं देने पर एक महीने जेल की सजा होगी. बार-बार ऐसा करते पाए जाने पर अलग से भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
b. शराब मामलों का ट्रायल एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट या डिप्टी कलेक्टर और इससे ऊपर रैंक के अधिकारी ही कर सकेंगे.
c. इन मामलों की जांच ASI रैंक से ऊपर के पुलिस अफसर या एक्साइज अफसर करेंगे.
4. सेक्शन 55 को पूरी तरह से हटा देने की तैयारी है. इसके बाद शराब से जुड़े अपराध 'कम्पाउंडेबल ऑफेंस' में आएंगे.

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5. सेक्शन 57 में भी बदलाव किया जा रहा है. शराब या इसके बनाने में जो भी सामान बरामद होगा, उसे DM के ऑर्डर से तुरंत नष्ट किया जाएगा. अब इसे लंबे वक्त तक बरामदगी के बाद जब्त करके नहीं रख सकेंगे.

6. सेक्शन 57 में ही 57A को जोड़ा जाएगा. इस नए सेक्शन के तहत जब्त की गई शराब मामले में पकड़ी गई गई गाड़ी व दूसरे सामान को जुर्माना देकर छोड़ दिया जाएगा. अगर कोई जुर्माना नहीं देगा तो उसे जब्त कर लिया जाएगा.

7. सेक्शन 62 में भी बदलाव किया जा रहा है. इसके तहत जिस जगह से शराब बरामद होगी, उसे अब ASI भी सील कर सकेंगे. पहले यह अधिकार SI या उसके ऊपर के अफसरों को दिया गया था.

8. पूर्ण शराबबंदी कानून के चैप्टर 7 (निष्कासन और नजरबंदी) को हटा दिया गया है. इसकी जगह पर नया चैप्टर 7A को जोड़ा जाएगा. इसमें शराब माफिया की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया को लेकर नए नियम बनाए जा जाएंगे.

9. सेक्शन 81 में एक नया सब सेक्शन 81A जोड़ा जा रहा है. इन नए सेक्शन के तहत जब्त की गई शराब को किसी भी वजह से सेफ कस्टडी में ले जाना संभव नहीं होने पर उसे बरामदगी वाली जगह पर ही नष्ट किया जा सकेगा. संबंधित अधिकारी उसका सैंपल सबूत के तौर पर रखेंगे और उसका इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस रिपोर्ट के साथ DM को सौंपेंगे.

10. सेक्शन 83 में सेक्शन 37 के तहत पकड़े गए लोगों को छोड़कर बाकी सभी मामले स्पेशल कोर्ट में चलते रहेंगे. वैसे सभी मामले जो सिर्फ सेक्शन 37 के तहत होंगे, उन मामलों की सुनवाई अब DM के कोर्ट में होगी.

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