- कुचायकोट विधानसभा सीट गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और राजनीतिक दृष्टि से हमेशा महत्वपूर्ण रही है
- 2020 में जेडीयू के अमरेन्द्र कुमार पांडेय ने कांग्रेस के काली प्रसाद पांडेय को बड़े अंतर से हराया था
- इस क्षेत्र की प्रमुख जातियां यादव, ब्राह्मण, भूमिहार और कुर्मी हैं जो चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाती हैं
गोपालगंज जिले की कुचायकोट विधानसभा सीट बिहार की उन सीटों में से है, जहां हर चुनाव में सियासी समीकरण नए रंग लेते हैं. यह सीट गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है और राजनीतिक रूप से हमेशा चर्चा में रहती है. 1952 के पहले विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस के शिवा कुमार विजयी हुए थे, लेकिन वक्त के साथ इस सीट का झुकाव बदलता गया और अब यह जेडीयू के प्रभाव वाले क्षेत्रों में गिनी जाती है.
2020 के विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) के अमरेन्द्र कुमार पांडेय ने यहां शानदार जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार काली प्रसाद पांडेय को 20,630 वोटों के अंतर से हराया था. अमरेन्द्र कुमार को कुल 74,359 वोट मिले, जबकि काली प्रसाद को 53,729 वोट हासिल हुए. इस नतीजे ने यह साफ कर दिया कि एनडीए गठबंधन की जमीनी पकड़ इस इलाके में अभी भी मजबूत है.
कुचायकोट विधानसभा क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण इलाका है, जहां कृषि और रोजगार स्थानीय चुनावी मुद्दे रहे हैं. गंडक नदी के किनारे बसे इस इलाके में गन्ना और धान की खेती व्यापक रूप से होती है. मतदाताओं की बड़ी संख्या यादव, ब्राह्मण, भूमिहार और कुर्मी जातियों से आती है, जो हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाती हैं.
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, 2025 के चुनाव में कुचायकोट फिर से दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. कांग्रेस इस सीट को वापसी के लिए अहम मानती है, वहीं जेडीयू के लिए यह सीट अपनी साख बचाने की चुनौती होगी. नीतीश कुमार के नेतृत्व में पार्टी इस सीट पर विकास और स्थिरता के एजेंडे के साथ फिर मैदान में उतर सकती है.