हथुआ विधानसभा सीट का नतीजा सामने आ चुका है और इस बार जेडीयू ने शानदार वापसी की है. पार्टी उम्मीदवार रामसेवक सिंह ने कुल 92,121 वोट हासिल करते हुए आरजेडी प्रत्याशी राजेश कुमार सिंह को 12,348 मतों से हराया. यह जीत जेडीयू के लिए राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक दोनों स्तर पर अहम मानी जा रही है.
गोपालगंज जिले की यह सीट उन क्षेत्रों में शामिल है जहां हर चुनाव में सत्ता का समीकरण बदलता रहा है. गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह सीट हमेशा राजनीतिक चर्चा में रहती है. 2010 में जहां यहां जेडीयू के रामसेवक सिंह विजेता बने थे, वहीं 2020 के चुनाव में तस्वीर बिलकुल उलट गई.
2020 में आरजेडी के राजेश कुमार सिंह ने 30,527 वोटों की बड़ी जीत दर्ज करते हुए रामसेवक सिंह को पटखनी दी थी. राजेश सिंह को 86,731 वोट, जबकि रामसेवक सिंह को 56,204 वोट मिले थे. यह जीत न सिर्फ आरजेडी के लिए एक बड़ा राजनीतिक संदेश थी, बल्कि गोपालगंज में पार्टी की मजबूत वापसी भी मानी गई थी.
लेकिन 2025 में हथुआ ने फिर करवट ले ली. इस बार जेडीयू ने सामाजिक संतुलन, संगठन और स्थानीय नेतृत्व—तीनों के दम पर वापसी की है.
हथुआ की सियासत हमेशा से जातीय समीकरणों पर टिकी रही है. यादव, कुशवाहा, राजपूत और मुस्लिम मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यही कारण है कि आरजेडी ने 2020 में इसी सामाजिक आधार को मजबूत करते हुए जीत दर्ज की थी. राजेश कुमार सिंह ने तब बेरोजगारी, सड़कों की स्थिति और किसानों की समस्याओं को मुख्य मुद्दा बनाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में किया था.
लेकिन इस बार समीकरण बदले. जेडीयू ने एक बार फिर पुराने और भरोसेमंद चेहरे रामसेवक सिंह पर दांव लगाया और पार्टी की जमीनी मशीनरी ने बूथ स्तर तक मेहनत की. परिणाम—रामसेवक सिंह ने 2020 की हार का अंतर मिटाते हुए इस बार निर्णायक जीत दर्ज कर ली.














