बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मंगलवार को घोषणा की कि वह इस सप्ताह के अंत में होने वाले उस कार्यक्रम का 'विरोध' करेंगे जब नीतीश कुमार सरकार नव नियुक्त शिक्षकों को भर्ती पत्र देगी . हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख मांझी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स' पर घोषणा की कि वह शिक्षक पद के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए 'अदालत' का आयोजन करेंगे, जो भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायत कर रहे हैं. मांझी ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि नियुक्ति पत्र बांटने के नीतीश कुमार सरकार के फैसले के विरोध में बृहस्पतिवार को उनके आवास पर 'बिहारी शिक्षक अभ्यर्थी अदालत' का आयोजन किया जाएगा.
मांझी ने जून में सत्तारूढ़ महागठबंधन छोड़ दिया था, जब उनके पुत्र संतोष सुमन ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को जद (यू) में विलय करने या छोड़ने के अल्टीमेटम पर अपना मंत्री पद छोड़ दिया था. मांझी तब से भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में लौट आए हैं. उससे एक साल पहले वह नीतीश के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए राजग छोड़ा था. बिहार माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया लाल श्रीवास्तव का कहना है कि चयन प्रक्रिया के 'पहले चरण' में 1.20 लाख से अधिक शिक्षकों की भर्ती के साथ 'इतिहास रचा' गया है.
पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में दो नवंबर को हजारों उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र देने का कार्यक्रम है. इसी तरह के कार्यक्रम अन्य जिलों में भी निर्धारित किए गए हैं, जिनमें स्थानीय गणमान्य व्यक्ति भाग लेंगे. विपक्षी भाजपा ने भर्ती प्रक्रिया को एक 'घोटाला' करार दिया है और दावा किया है कि जो लोग पहले से ही संविदा शिक्षकों के रूप में कार्यरत थे, उन्हें बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में 'चयनित' दिखाया गया .इस बीच, एक भाजपा नेता के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स' पर यह साझा करने पर कि उनकी बेटी ने बीपीएससी परीक्षा पास कर ली है और वह बिहार में एक शिक्षण करियर की उम्मीद कर रही है, राज्य में सत्तासीन महागठबंधन को इस आरोप को खारिज करने के लिए एक हथियार मिल गया है.
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