Bihar News:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar)आजकल मुद्दों पर अपने स्टैंड से अधिक पुराने स्टैंड पर क़ायम न रहने के कारण अधिक सुर्ख़ियों में रहते हैं .नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) पर भी उनकी पार्टी में कभी एक राय नहीं रही और अब तो खुद नीतीश अपनी पुरानी राय पर अडिग नहीं दिख रहे .ताज़ा घटनाक्रम में नीतीश से सोमवार को जनता दरबार के बाद नागरिकता क़ानून के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पिछले हफ़्ते के बयान के बारे में सवाल पूछा गया तो मुख्यमंत्री के जवाब से साफ़ था कि वो अपने पुराने स्टैंड से अब अलग राय रखते हैं . नीतीश का सोमवार को जवाब था कि फ़िलहाल जो तीन देश के जो लोग हैं और वहां अल्पसंख्यक हैं उनको नागरिकता देने की बात हैं. उनके अनुसार, देश के अल्पसंख्यक समाज की भी इच्छा हैं और ये कोई ख़ास बात नहीं हैं .उनके अनुसार जो जन्म प्रमाण पत्र की अनिवार्यता थी उस सम्बंध में बिहार सरकार ने अपने स्टैंड से केंद्र को अवगत करा दिया था लेकिन नीतीश का कहना था कि ऐसी कोई ख़ास बात नहीं हैं.
नीतीश का बयान से साफ़ हैं कि फ़िलहाल CAA के मुद्दे पर वे राज्य में अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा से कोई विवाद नहीं चाहते और इसलिए उन्होंने मध्यममार्ग चुना है.हालांकि नीतीश ने इससे पूर्व जनवरी 2020 में बिहार विधान मंडल के दोनो सदनो से राज्य में एनआरसी न लागू कराने का प्रस्ताव पारित कराया थाऔर उन्होंने नागरिकता संशोधन क़ानून पर भी बहस कराने का प्रस्ताव विपक्ष को दिया था.इस मुद्दे पर नीतीश और तब उनके पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर में मनमुटाव भी हुआ और आख़िरकार नीतीश ने उन्हें और पूर्व सांसद पवन वर्मा को निलंबित भी कर दिया था .हालांकि ये बात भी सत्य हैं कि नीतीश की पार्टी ने इस क़ानून को जब लोकसभा में पास कराया जा रहा था तब उसके समर्थन में वोट दिया था .
वैसे, जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि फ़िलहाल नीतीश ने सांकेतिक समर्थन दिया हैं लेकिन वो मानते हैं कि सीएम अब बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाक़ात के बाद किसी भी मुद्दे पर अनायास विवाद नहीं चाहते.
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