- गया जिले के शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र में 11 नवंबर को दूसरे चरण के तहत मतदान होगा, जहां ग्रामीण आबादी अधिक है.
- शेरघाटी का ऐतिहासिक महत्व है, यहां 1865 में मंगल ग्रह से आया उल्कापिंड गिरा था अब लंदन म्यूजियम में रखा गया.
- क्षेत्र की स्थानीय समस्याओं में सड़क, स्वास्थ्य सुविधाएं, बाढ़ नियंत्रण, रोजगार और शिक्षा की मांग शामिल.
गया जिले में आने वाला शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हो चुका है. ग्रामीण आबादी वाले शेरघाटी में पिछले विधानसभा चुनाव यानी साल 2020 में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की मंजू अग्रवाल ने जीत दर्ज की थी. इस बार उनकी चुनौतियां कहीं ज्यादा होने वाली है. पक्ष और विपक्ष सभी लगातार यहां के समीकरणों को बदलने की कोशिश में लगे हुए हैं. विधानसभा क्षेत्र संख्या 226 के तहत आने वाले शेरघाटी में 11 नवंबर को यानी दूसरे चरण के तहत वोटिंग होगी.
इतिहास है काफी खास
शेरघाटी का इतिहास काफी खास है. यह शहर मोरहर नदी से घिरा हुआ है. कहते हैं कि 25 अगस्त 1865 को मंगल ग्रह से आया एक उल्कापिंड यहां गिरा था. इसे अब लंदन के एक म्यूजियम में रखा गया है और इसे शेरगोटी उल्कापिंड के नाम से जाना जाता है. शेरघाटी पर चेरो का राज था लेकिन सन् 1700 के दौरान यह रोहिल्ला सरदार आजम खान के राज में आ गया. सन् 1857 में, राजा जहांगीर बक्स खान ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर दी.
वोटिंग पर असर डालने वाले मसले
क्षेत्र में कई स्थानीय समस्याएं हैं जैसे ग्रामीण इलाकों में इनफ्रास्ट्रक्चर जैसे सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा बाढ़-सिंचाई और युवा-मतदाता के लिए रोजगार और शिक्षा-कोचिंग की मांग एक बड़ा मसला है. यहां राजनीतिक-गठबंधन, उम्मीदवार की व्यक्तिगत साख, जातिगत गठजोड़ और स्थानीय विकास-मुद्दे मिलकर निर्णायक बने हैं. वहीं यंग वोटर्स, महिला मतदाता और फर्स्ट टाइम वोटर्स इस बार सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं. स्थानीय उम्मीदवारों की पर्सनल छवि, मत-बैंक-गिरावट और मतदान-दर्जा भी अहम कारक होंगे.
इस सीट के खास समीकरण
साल 2020 के चुनाव में इस सीट के कुल मतदाताओं की संख्या करीब 2,74,401 थी और मतदान प्रतिशत करीब 63.03 फीसदी था. मंजू अग्रवाल ने 61,804 वोट हासिल किए और उनका वोट शेयर करीब 35.7 फीसदी रहा. उनके निकटतम प्रतिद्वंदी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के विनोद प्रसाद यादव ने 45,114 वोट लिए और करीब 26.1 प्रतिशत वोट-शेयर उन्हें मिला. वहीं जीत का मार्जिन करीब 16,690 वोट रहा.
अनुसूचित जाति (एससी) करीब 34.2 फीसदी की हिस्सेदारी वाले इस क्षेत्र में यादव, मुसलमान, अन्य पिछड़ा वर्ग और बाकी समुदायों के मत प्रभावी हैं. पुराना इतिहास देखा जाएग तो इस सीट पर साल 2010 और 2015 में जेडीयू के विनोद प्रसाद यादव ने जीत दर्ज की थी. लेकिन फिर 2020 में आरजेडी उम्मीदवार ने इसे अपने पक्ष में बदल दिया.