Pukhaj Gemstome Wearing Rules: ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का अहम स्थान है. ग्रहों की अनुकूलता के लिए रत्न धारण करने की सलाद दी जाती है. चूंकि रत्न किसी ना किसी ग्रह से संबंधित है, इसलिए इसे धारण करते समय विशेष ध्यान रखा जाता है. ज्योतिष शास्त्र के जानकार बताते हैं कि रत्नों को धारण करके ग्रहों का शुभ प्रभाव प्राप्त किया जा सकता है. रत्न रुके हुए कार्यों को पूरे करने में भी सहायक होते हैं. ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति के लिए पुखराज रत्न धारण जिक्र किया गया है. इसे अंग्रेजी में येलो सफायर कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र की मान्यता है कि पुखराज को धारण करने से गुरु ग्रह से जुड़ी परेशानियां खत्म हो जाती हैं. ऐसे में जानते हैं कि पुखराज धारण करने की सही विधि और नियम क्या है. साथ ही यह भी जानते हैं कि इसे किन राशियों को धारण करना चाहिए.
इन 2 राशियों के लिए शुभ है पुखराज
धनु राशि - ज्योतिष शास्त्र में 2 राशियों के लिए पुखराज रत्न शुभ माना गया है. कहा जाता है कि इसे धारण करने से कुंडली का गुरु ग्रह मजबूत होता है. इस सूची में पहले नाम धनु राशि का है. इस राशि के जातकों लिए पुखराज एक भाग्यशाली रत्न की तरह काम करता है. यह वजह है कि ज्योतिष के जानकार इस राशि के लोगों को पुखराज धारण करने की सलाह देते हैं.
मीन राशि- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मीन राशि के स्वामी बृहस्पति देव हैं. यही वजह है कि मीन राशि के लिए पुखराज सबसे भाग्यशाली रत्न माना जाता है. बृहस्पति देव की अनुकूलता के लिए पुखराज सबसे अच्छा रत्न माना जाता है. कहा जाता है कि अगर इस राशि से जुड़े बिजनेसमैन अगर पुखराज पहने तो उन्हें बिजनेस में काफी तरक्की मिलती है.
पुखराज कब और कैसे धारण करें
ज्योतिष शास्त्र के जानकारों की मानें तो पुखराज धारण करने के लिए सबसे शुभ दिन बृहस्पतिवार और शुभ तिथि एकादशी होती है. पुखराज को सोने की अंगूठी में बनवाकर धारण करना चाहिए. धारण करने से पहले इसे गंगाजल और दूध से अभिषिक्त करना होता है. पुखराज रत्न को तर्जनी अंगुली में धारण किया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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