प्लेन के इंजन में क्यों फेंके जाते हैं मुर्गे? वजह जानकर सिर चकरा जाएगा

इस टेस्ट में मरे हुए मुर्गों को खास तोप से हवाई जहाज़ के इंजन पर दागा जाता है. सुनने में अजीब लगे, लेकिन यह कोई अफ़वाह नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सुरक्षा प्रक्रिया है.

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कभी सोचा है हवाई जहाज़ के इंजन में मुर्गे क्यों फेंके जाते हैं?

दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे बड़े एयरपोर्ट्स से रोज़ाना लाखों यात्री उड़ान भरते हैं. यात्रियों की नज़र टिकट, टाइमिंग और किराए पर रहती है, लेकिन एक बेहद अनोखा और ज़रूरी सेफ्टी टेस्ट चुपचाप उनकी जान की हिफाज़त करता है. इस टेस्ट में मरे हुए मुर्गों को खास तोप से हवाई जहाज़ के इंजन पर दागा जाता है. सुनने में अजीब लगे, लेकिन यह कोई अफ़वाह नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सुरक्षा प्रक्रिया है.

मुर्गा और जेट इंजन का क्या कनेक्शन है?

इस प्रक्रिया को बर्ड स्ट्राइक सिमुलेशन टेस्ट कहा जाता है. इसका मकसद यह जांचना होता है कि अगर उड़ान के दौरान इंजन से टकराकर कोई पक्षी अंदर चला जाए, तो क्या इंजन सुरक्षित तरीके से काम करता रहेगा या बिना फटे नियंत्रित रूप से बंद हो जाएगा. 1950 के दशक में जब जेट इंजन आम होने लगे, तब पक्षियों से टकराने की घटनाएं भी बढ़ीं. इसी खतरे को समझते हुए वैज्ञानिकों ने एक खास एयर कैनन बनाया, जिसे आम भाषा में “चिकन गन” कहा जाता है. इसमें पूरे मरे हुए मुर्गों को भरकर इंजन और कॉकपिट के शीशे पर तेज़ रफ्तार से दागा जाता है.

इस टेस्ट में क्या-क्या पास करना होता है?
    •    इंजन को बड़े पक्षी को निगलने के बाद भी फटना नहीं चाहिए.
    •    सारे टुकड़े इंजन के अंदर ही रहने चाहिए.
    •    इंजन या तो सुरक्षित तरीके से चलता रहे या नियंत्रित रूप से बंद हो.
    •    कॉकपिट का शीशा टूटे नहीं, ताकि पायलट सुरक्षित रहें.

जब तक ये सभी शर्तें पूरी नहीं होतीं, किसी भी इंजन को उड़ान की मंज़ूरी नहीं मिलती.

भारत में क्यों बढ़ रहा है बर्ड स्ट्राइक का खतरा?

नागरिक उड्डयन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 से 2025 के बीच देश के बड़े एयरपोर्ट्स पर करीब 2800 बर्ड स्ट्राइक दर्ज किए गए. जिसमें दिल्ली एयरपोर्ट पर सबसे ज़्यादा मामले पाए गए. मुंबई और बेंगलुरु में लगातार बढ़ते आंकड़े. महामारी के बाद उड़ानों में तेज़ बढ़ोतरी हुई. एयरपोर्ट के आसपास कचरा, निर्माण और शहरी फैलाव देखा गया. ये सभी वजहें पक्षियों को रनवे और उड़ान मार्ग के करीब खींच लाती हैं.

एयरपोर्ट पर कैसे रोकी जाती हैं ऐसी घटनाएं?

भारतीय एयरपोर्ट्स पर वाइल्डलाइफ हैज़र्ड मैनेजमेंट प्लान लागू किए जाते हैं, जिनमें शामिल हैं...
    •    शिकारी पक्षियों की आवाज़ और लेज़र लाइट से पक्षियों को भगाना
    •    घास की ऊंचाई नियंत्रित रखना
    •    पानी और कचरे के स्रोत हटाना
    •    रडार से पक्षियों की गतिविधि पर नज़र
    •    स्थानीय इलाकों में कचरा प्रबंधन को लेकर जागरूकता

यात्रियों के लिए क्या मतलब है इसका?
ज़्यादातर बर्ड स्ट्राइक में विमान को मामूली या कोई नुकसान नहीं होता. लेकिन बड़ा पक्षी या झुंड गंभीर खतरा बन सकता है. यही वजह है कि इंजन की मज़बूती और ज़मीन पर की जाने वाली ये अजीब दिखने वाली टेस्टिंग यात्रियों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाती है. अगली बार जब आप उड़ान भरें, तो याद रखिए, आपकी सुरक्षा में एक मुर्गे का भी योगदान है.

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