डिजिटल टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया के इस दौर ने आपसी संबंधों की परिभाषा बदल दी है. आमने-सामने से ज्यादा अब लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए एक-दूसरे से मिलते हैं. मिलने की जगह बदली तो बात करने का अंदाज भी बदल गया है. अब शब्दों से ज्यादा लोग इमोजी का इस्तेमाल करते हैं. कुछ पसंद आया तो हार्ट इमोजी भेज दी, कुछ फनी लगा तो ठहाके लगाते इमोजी और अगर किसी बात पर गुस्सा आया तो गुस्से से लाल शक्ल वाली इमोजी भेज दी. फैमिली व्हाट्सएप ग्रुप में नमस्ते लिखने के बजाए हम दोनों हाथ जोड़े नमस्ते कर रहे इमोजी का इस्तेमाल करते हैं. मौजूदा डिजिटल युग में हम रोजाना किसी न किसी तरह के इमोजी का इस्तेमाल जरूर करते हैं.
हाइफन और कोलन से बना था पहला इमोजी
मौजूदा दौर में इमोजी इतना आम है कि, हम हर दिन इसका इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, इमोजी हमेशा से इतना कॉमन नहीं रहा है. कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर स्कॉट फाहलमैन ने सबसे पहले इमोजी का इस्तेमाल किया था. उन्होंने कोलन, हाइफन और एक क्लोज पैरेंथिसिस के इस्तेमाल से पहले इमोटिकॉन का आविष्कार किया था. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में फाहलमैन के इस इमोजी को पहले इंटरनेट इमोटिकॉन के तौर पर दर्ज है. इसके बाद 1999 में एक जापानी डिजाइनर ने मोबाइल कंपनी के लिए ग्राफिकल इमोजी क्रिएट किया और 2011 में पूरी दुनिया में खूब पॉपुलैरिटी मिली.
आज है वर्ल्ड इमोजी डे
इमोजी डिजिटल दुनिया का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसे सेलिब्रेट करने के लिए 17 जुलाई को वर्ल्ड इमोजी डे मनाया जाता है. इंस्टाग्राम, एक्स और फेसबुक से लेकर व्हाट्सएप तक सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर धड़ल्ले से इमोजी का इस्तेमाल किया जाता है, सिर्फ टेक्स्ट मैसेज की तुलना में इमोजी किसी भी ऑनलाइन बातचीत को ज्यादा गहरा अर्थ देती है. इमोजी की मदद से हम ऑनलाइन ज्यादा अच्छे तरीके से कम्युनिकेट कर पाते हैं.
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