दो हिस्सों में टूट रहा अफ्रीका! धरती के नीचे हो रहा नए महासागर का जन्म, वैज्ञानिकों ने बता दी चौंकाने वाली बात

अफ्रीका महाद्वीप आने वाले समय में दो हिस्सों में बंट सकता है. नई मैग्नेटिक स्टडी में ईस्ट अफ्रीकन रिफ्ट में तेज़ी से हो रहे भू-वैज्ञानिक बदलावों और संभावित नए महासागर के बनने के संकेत मिले हैं.

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अफ्रीका दो हिस्सों में बंट रहा है!

दुनिया के सबसे पुराने और विशाल भूभागों में से एक, अफ्रीका, धीरे-धीरे दो टुकड़ों में बंट रहा है. यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि वैज्ञानिकों की ज़मीन से जुड़ी सच्चाई है. नई मैग्नेटिक रिसर्च और 50 साल पुराने डेटा का आधुनिक विश्लेषण बताता है कि अफ्रीका के नीचे धरती की परतें लगातार खिसक रही हैं और आने वाले 5 से 10 मिलियन साल में यहां एक नया महासागर बन सकता है. वैज्ञानिकों ने इसे “जैकेट की चेन खुलने जैसा धीमा लेकिन लगातार होता” बताया है.

कैसे टूट रहा है अफ्रीका?

अफ्रीका का यह विभाजन उत्तर-पूर्व से शुरू होकर दक्षिण की ओर बढ़ रहा है. भूवैज्ञानिकों के अनुसार यह प्रक्रिया “ज़िप खोलने” जैसी दिखती है, ऊपर से नीचे तक एक सीधी दरार. इस वजह से कई जगहों पर ज्वालामुखीय गतिविधि, भूकंप और लंबी रिफ्ट वैली बन रही है. अगर यह विभाजन पूरा होता है, तो अफ्रीका दो हिस्सों में बंट जाएगा: पहला- पश्चिमी बड़ा हिस्सा: मिस्र, अल्जीरिया, नाइजीरिया, घाना, नामीबिया सहित अधिकांश देश, दूसरा- पूर्वी नया हिस्सा: सोमालिया, केन्या, तंजानिया, मोज़ाम्बिक और इथियोपिया का बड़ा भाग

वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण टिप्पणियां

Keele University के भूवैज्ञानिक प्रो. पीटर स्टाइल्स के मुताबिक: “ये निष्कर्ष दिखाते हैं कि हमारा ग्रह लगातार बदल रहा है, वह भी हमारे पैरों के नीचे, बिना हमें महसूस कराए.” Swansea University की डॉ. एमा वॉट्स (डेली मेल को दिए बयान में) कहती हैं: “अफ्रीका का यह विभाजन बहुत धीमी प्रक्रिया है, और इसे पूरा होने में लाखों साल लगेंगे. आज भी उत्तरी रिफ्ट 5–16 मिमी प्रति वर्ष की गति से खिसक रहा है.” नया अध्ययन जर्नल ऑफ अफ्रीकन साइंसेज में प्रकाशित हुआ है, जिसमें 1968–69 के पुराने Afar Survey के एयरबोर्न मैग्नेटिक डेटा को आधुनिक तकनीक से दोबारा पढ़ा गया. शोधकर्ताओं ने कहा- “इस प्रकाशन के साथ 1968 का अफार सर्वे डेटा अपनी अनदेखी से बाहर आ गया है.”

वो जगह जहां धरती टूट रही है

पूरा अफ्रीका नहीं, बल्कि इसका पूर्वी हिस्सा सबसे तेजी से बदल रहा है. पूर्वी अफ़्रीकी दरार लगभग 4,000 मील लंबा और 30–40 मील चौड़ा है. यह जॉर्डन से शुरू होकर पूर्वी अफ्रीका से होते हुए मोज़ाम्बिक तक जाता है.  यहां धरती की परत पतली हो रही है, फैल रही है और धीरे-धीरे दो दिशाओं में खिंच रही है. भविष्य में ये दरारें: लेक मलावी, लेक टुर्काना और कई अन्य झीलों को सीधा दो हिस्सों में काट सकती हैं.

धरा का ‘ट्रिपल जंक्शन'

अफार वह जगह है जहां तीन महाद्वीपीय रिफ्ट मिलते हैं: 1.मुख्य इथियोपियाई दरार, 2. लाल सागर दरार, 3. अदन की खाड़ी दरार. यह वही स्थान है जहां वैज्ञानिकों को सबसे शुरुआती और स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि अफ्रीका का टुकड़ा अलग होकर महासागर बनने की दिशा में बढ़ रहा है. यहीं से 1968–69 का एयरबोर्न मैग्नेटिक सर्वे किया गया था, जिसके डेटा को आधुनिक सॉफ़्टवेयर से डीकोड किया गया. इन मैग्नेटिक पैटर्न्स में पृथ्वी के पुराने चुंबकीय पलटावों के निशान हैं, बिल्कुल पेड़ों की सालाना रिंग्स की तरह. ये साफ साबित करते हैं कि अफ्रीका और अरब की प्लेटें पहले भी दूर हुई थीं.

आखिर होगा क्या?

शोधकर्ताओं के अनुसार, भविष्य में: एक नया महासागर विकसित होगा, पूर्वी अफ्रीका एक अलग महाद्वीप बन जाएगा, लाल सागर और अरब की विवर्तनिक प्लेटों का मूवमेंट इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाता रहेगा. आज भले ही हमें यह बदलाव दिखता नहीं, लेकिन धरती की परतें हर सेकंड खिसक रही हैं और अफ्रीका का यह बंटवारा भविष्य की सबसे बड़ी भौगोलिक घटनाओं में से एक होगा.

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