Rare Pregnancy Case: कभी-कभी ज़िंदगी ऐसे चमत्कार दिखा देती है, जिन पर भरोसा करना मुश्किल हो जाता है. अमेरिका की एक महिला के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, जब उसे डिलीवरी से कुछ दिन पहले पता चला कि वह गर्भवती है. हैरानी की बात ये थी कि बच्चा गर्भाशय में नहीं, बल्कि पेट के अंदर एक सिस्ट के साथ पल रहा था.
कैसे हुआ यह अनोखा मामला?
fox8.com के मुताबिक, कैलिफोर्निया के बेकर्सफील्ड में रहने वाली 41 वर्षीय नर्स सूज़े लोपेज़ को लंबे समय से ओवरी में एक बड़ा सिस्ट था. जब उनका पेट धीरे-धीरे बढ़ने लगा, तो उन्होंने इसे उसी सिस्ट का असर समझा. उन्हें ना उलटी हुई, ना जी मिचलाया और ना ही बच्चे की हलचल महसूस हुई. उनका मासिक चक्र पहले से ही अनियमित था, इसलिए पीरियड न आना भी उन्हें असामान्य नहीं लगा. महीनों तक वह अपने पति के साथ सामान्य ज़िंदगी जीती रहीं और विदेश यात्राएं भी कीं.
सिस्ट की जांच ने खोल दिया राज़
जब पेट में दर्द और दबाव बढ़ने लगा, तो उन्होंने सिस्ट निकलवाने का फैसला किया. जांच से पहले जब प्रेग्नेंसी टेस्ट किया गया, तो रिपोर्ट पॉज़िटिव आई. यह सुनकर वह और उनके पति दोनों हैरान रह गए. स्कैन में खुलासा हुआ कि गर्भाशय पूरी तरह खाली है, लेकिन पेट के अंदर एक अम्नियोटिक थैली में लगभग पूर्ण विकसित बच्चा मौजूद है, जो पेल्विस की दीवार से जुड़ा हुआ था.
डॉक्टरों के लिए भी था असंभव सा केस
डॉक्टरों के मुताबिक, गर्भाशय के बाहर गर्भ ठहरना बेहद खतरनाक होता है. ऐसे मामलों में मां और बच्चे दोनों की जान का खतरा रहता है. पेट में विकसित होने वाली गर्भावस्था इतनी दुर्लभ होती है कि पूर्ण अवधि तक पहुंचना लगभग नामुमकिन माना जाता है. डॉक्टरों का कहना है कि यह केस मेडिकल इतिहास के सबसे दुर्लभ मामलों में से एक है.
सर्जरी, खून की कमी और जिंदगी की जंग
18 अगस्त को डॉक्टरों की टीम ने पूरी तैयारी के साथ सर्जरी की. बच्चे को सुरक्षित निकाला गया और साथ ही 22 पाउंड का सिस्ट भी हटाया गया. सर्जरी के दौरान सूज़े का लगभग सारा खून निकल गया, लेकिन समय रहते ब्लड ट्रांसफ्यूजन से उनकी जान बचा ली गई. पूरी प्रक्रिया के दौरान उनके पति लगातार प्रार्थना करते रहे, क्योंकि किसी भी पल कुछ भी हो सकता था.
मां और बच्चा दोनों सुरक्षित
कई घंटों की जद्दोजहद के बाद मां और बच्चा दोनों सुरक्षित बच गए. 8 पाउंड वजन के बच्चे का नाम रखा गया रयू. डॉक्टरों के अनुसार, मां और बच्चे दोनों का स्वस्थ रहना किसी चमत्कार से कम नहीं है. आज रयू पूरी तरह स्वस्थ है और अपनी 18 साल की बड़ी बहन के साथ खेलता नजर आता है. परिवार का कहना है कि यह बच्चा उनकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा आशीर्वाद है. सूज़े लोपेज़ कहती हैं कि वह चमत्कारों में विश्वास करती हैं और यह बच्चा ईश्वर का सबसे अनमोल तोहफा है.
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