IIM ग्रेजुएट, करोड़ों की कमाई… फिर भी गुरुग्राम में अपना घर लेना सपने जैसा है, क्यों?

1 करोड़ रुपये CTC और 7 करोड़ रुपये की सेविंग्स के बावजूद गुरुग्राम में घर नहीं खरीद पाने वाले शख्स की Reddit पोस्ट ने रियल एस्टेट अफॉर्डेबिलिटी पर बहस छेड़ दी है.

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गुरुग्राम रियल एस्टेट पर Reddit यूजर का बड़ा खुलासा

देश के कॉर्पोरेट सेक्टर की चमक-धमक के बीच एक Reddit पोस्ट ने रियल एस्टेट की कड़वी सच्चाई सामने ला दी है. 1 करोड़ रुपये से ज्यादा सालाना कमाने और 7 करोड़ रुपये की लाइफटाइम सेविंग्स रखने वाले एक 40 वर्षीय प्रोफेशनल ने दावा किया है कि वह गुरुग्राम में अपना घर खरीदने की हैसियत नहीं रखता है.

कौन है Reddit पोस्ट करने वाला शख्स

वायरल पोस्ट के मुताबिक, यह शख्स एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी में सीनियर लेवल पर काम करता है. वह IIM बैंगलोर से MBA कर चुका है और उसकी सालाना CTC 1.2 करोड़ रुपये है. उसने बताया कि वह अपने परिवार में अकेला कमाने वाला सदस्य है, परिवार में उसकी पत्नी, मां और वह खुद शामिल है. कोई बच्चा नहीं है और न ही कोई बड़ा आर्थिक बोझ.

फिर भी घर खरीदना मुश्किल

यूजर ने लिखा कि उसकी कुल सेविंग्स 7 करोड़ रुपये से थोड़ी ज्यादा हैं और टैक्स के बाद उसकी मासिक इनकम करीब 6 लाख रुपये है. इसके बावजूद गुरुग्राम में घर खरीदना उसे बेहद मुश्किल लग रहा है. उसके मुताबिक, DLF फेज-2 में 2300 स्क्वायर फीट का बिल्डर फ्लोर 5 करोड़ या उससे ज्यादा में मिल रहा है. MGF विलास में 4BHK की कीमत 14 करोड़ रुपये से ऊपर है. पुराने अपार्टमेंट भी 3.5 से 4.5 करोड़ रुपये तक हैं. रेनोवेशन, ब्रोकरेज और रजिस्ट्री जोड़ने पर कुल खर्च 5 करोड़ रुपये के करीब पहुंच जाता है.

1 Crore CTC, Still Priced out of Gurgaon?
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EMI या पूरी नेटवर्थ, दोनों ही डरावने विकल्प

यूजर ने लिखा कि 5 करोड़ रुपये के नए 4BHK के लिए उसके पास सिर्फ दो विकल्प बचते हैं या तो अपनी लगभग पूरी नेटवर्थ झोंक दे या फिर होम लोन लेकर अगले 20 साल तक नौकरी करता रहे. उसने चिंता जताई कि इस उम्र और करियर स्टेज पर इतनी लंबी जॉब सिक्योरिटी की कोई गारंटी नहीं होती है.

क्वालिटी और सुविधाओं पर भी सवाल

सिर्फ कीमत ही नहीं, बल्कि घरों की क्वालिटी को लेकर भी यूजर ने नाराजगी जताई. उसने बताया कि कई बिल्डर फ्लोर में निर्माण की गुणवत्ता कमजोर है. सुविधाओं की कमी है, हवा और पानी की हालत खराब है. स्ट्रक्चरल समस्याएं भी देखने को मिलती हैं. इतनी ऊंची कीमत के बावजूद ये समझौते उसे अन्यायपूर्ण लगे.

आखिर ये घर खरीद कौन रहा है?

यूजर ने सवाल उठाया कि जब 3 करोड़ रुपये की डाउन पेमेंट के बाद भी सालों तक 2–3 लाख रुपये EMI देनी पड़े, तो फिर गुरुग्राम में घर आखिर खरीद कौन पा रहा है? उसने लिखा, कॉर्पोरेट सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचने के बाद भी अगर मैं घर नहीं खरीद पा रहा, तो फिर कौन खरीद रहा है?

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सोशल मीडिया पर तीखी बहस

पोस्ट वायरल होते ही सोशल मीडिया पर रियल एस्टेट अफॉर्डेबिलिटी को लेकर बहस छिड़ गई. एक यूजर ने लिखा, इतना प्रदूषण और खराब इंफ्रास्ट्रक्चर होने के बाद गुरुग्राम में घर क्यों लेना? टियर-2 शहर कहीं बेहतर हैं. दूसरे ने कहा, ईमानदार टैक्सपेयर्स के लिए पोस्ट-कोविड मार्केट पूरी तरह आउट ऑफ रीच हो गया है. तीसरे यूजर ने लिखा, हम सैलरी में अमीर हैं, लेकिन असली वेल्थ में गरीब. गुरुग्राम ने सबको आउटप्राइस कर दिया है. यह पोस्ट सिर्फ एक की परेशानी नहीं, बल्कि देश के बड़े शहरों में बढ़ती हाउसिंग कीमतों और सैलरी क्लास की जद्दोजहद की कहानी बन गई है.

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