आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि मरते से कुछ क्षण पहले इंसान को अपनी आंखों के सामने अपना पूरा जीवन दिखाई देता है. उसके जीवन में घटी हर चीज उसके नज़रों के सामने दिखने लगती है. अब ऐसा ही दावा किया है वैज्ञानिकों ने. मरते हुए मस्तिष्क की पहली रिकॉर्डिंग ने वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में मदद की है, कि जब हम मरते हैं तो मानव मस्तिष्क का क्या होता है. जर्नल फ्रंटियर्स इन एजिंग न्यूरोसाइंस में मंगलवार को प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि मृत्यु से पहले जीवन वास्तव में हमारी आंखों के सामने घूमने लगता है नज़र आने लगता है.
खोज एक दुर्घटना के जरिए की गई थी. बीबीसी के अनुसार, न्यूरोसाइंटिस्ट (neuroscientists) एक 87 वर्षीय रोगी के ब्रेनवेव्स को माप रहे थे, जिसे मिर्गी का दौरा पड़ा था - लेकिन जब इस प्रक्रिया के दौरान मरीज को दिल का दौरा पड़ा, तो इस दौरान वैज्ञानिकों को एक मरते हुए मानव मस्तिष्क (dying human brain) की न उम्मीद की जाने वाली रिकॉर्डिंग मिली.
रिकॉर्डिंग ने स्मृति पुनर्प्राप्ति क्षेत्र में अप्रत्याशित मस्तिष्क गतिविधि का खुलासा किया, यह सुझाव देते हुए कि हम मरने से पहले एक अंतिम बार अपने जीवन को याद करते हैं.
अध्ययन के सह-लेखक डॉ अजमल ज़ेमर ने बीबीसी को बताया कि रोगी के मस्तिष्क को रक्त मिलना बंद होने से 30 सेकंड पहले, उसके दिमाग की तरंगें "उसी पैटर्न का पालन करती थीं जब हम उच्च-संज्ञानात्मक मांग वाले कार्यों को करते हैं, जैसे ध्यान केंद्रित करना, सपने देखना या यादों को याद करना."
मरीज के दिल की धड़कन बंद होने के बाद यह 30 सेकंड तक चलता रहा. ज़ेमर ने अनुमान लगाया, "यह संभवतः उन यादों का अंतिम स्मरण हो सकता है जिन्हें हमने जीवन में अनुभव किया है, और वे हमारे मस्तिष्क के माध्यम से हमारे मरने से पहले अंतिम सेकंड में फिर से खेलते हैं."
उन्होंने टीम के निष्कर्षों के बारे में विस्तार से बताया और कहा: "दिल के काम करना बंद करने से ठीक पहले और बाद में, हमने तंत्रिका दोलनों के एक विशिष्ट बैंड में परिवर्तन देखा, तथाकथित गामा दोलन, लेकिन डेल्टा, थीटा, अल्फा, और बीटा दोलन जैसे अन्य में भी.
ज़ेमर ने फ्रंटियर्स साइंस न्यूज़ को बताया, "स्मृति पुनर्प्राप्ति में शामिल दोलनों को उत्पन्न करने के माध्यम से, मस्तिष्क हमारे मरने से ठीक पहले महत्वपूर्ण जीवन की घटनाओं को याद करता है, जैसा कि निकट-मृत्यु के अनुभवों में बताया गया है. ये निष्कर्ष हमारी समझ को चुनौती देते हैं कि वास्तव में जीवन कब समाप्त होता है और महत्वपूर्ण बाद के प्रश्न उत्पन्न करते हैं, जैसे कि अंग दान के समय से संबंधित."
जैसी करनी, वैसी भरनी - कुत्ते को लात मारने का अंजाम