हमें गर्व है! मिलिए कोयला के खदान में काम करने वाली देश की पहली महिला इंजीनियर अंकाक्षा कुमारी से

आधी आबादी की आकांक्षा रहती है कि वो भी पुरुषों के साथ मिलकर देश के विकास में अपनी भागिदारी निभाए. ऐसे में वो जी-जान लगा कर मेहनत करती है और देश का नाम रौशन करती है.

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आकांक्षा हमेशा से कोल माइन्स में ही काम करना चाहती थी.

आधी आबादी की आकांक्षा रहती है कि वो भी पुरुषों के साथ मिलकर देश के विकास में अपनी भागिदारी निभाए. ऐसे में वो जी-जान लगा कर मेहनत करती है और देश का नाम रौशन करती है. आज हम आपको एक ऐसी लड़की की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने इतिहास रच दिया है. ऐसा करने वाली वो पहली भारतीय महिला (Indian Woman) बन चुकी हैं. देश और दुनिया के लोग इनकी तारीफ भी कर रहे हैं.

क्या है मामला?

झारखंड की अकांक्षा कुमारी (Akanksha Kumari) अंडरग्राउंड कोल माइन्स (Underground Coal Mines) में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर (Engineer) बन गई हैं. अभी तक लोगों को लगता था कि खदान में सिर्फ मर्द ही जा सकते हैं, मगर अकांक्षा ने एक नया इतिहास गढ़ दिया है. 

कौन है अकांक्षा?

आकांक्षा कुमारी झारखंड के हज़ारीबाग के बरकागांव की रहने वाली हैं. इनकी उम्र अभी महज 25 साल ही हैं. हज़ारीबाग में रहने के कारण इन्हें कोयले की अच्छी जानकारी है, ऐसे में इन्होंने कोयला के क्षेत्र में ही अपना करियर बनाया. इनकी शुरुआती पढ़ाई नवोदय विद्यालय से हुई बाद में माइंस की पढ़ाई के लिए अकांक्षा ने धनबाद के बिरसा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सिंदरी से माइनिंग इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया. 

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अकांक्षा जैसी महिलाएं हमारे लिए उदाहरण हैं. अपनी मेहनत और लगन से इन्होंने एक मिसाल कायम किया है. आज कई लड़कियों के लिए अकांक्षा एक प्रेरणा बन चुकी हैं.

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