इस दिवाली जम्मू में सैकड़ों परिवारों के घरों को जेल के कैदियों द्वारा बनाई गई विभिन्न डिजाइनों और रंगों की मोमबत्तियां तथा मिट्टी के दीये रोशन करेंगे. कैदियों के कौशल प्रशिक्षण और पुनर्वास के तहत यहां अम्फाला में जिला जेल के अधिकारी परिसर के भीतर स्थापित विनिर्माण इकाई में कैदियों को मोमबत्तियां और दीये बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.अम्फाला की जिला जेल के अधीक्षक हरीश कोटवाल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कैदी दिवाली के लिए अलग-अलग डिजाइन और रंगों के दीये और मोमबत्तियां बना रहे हैं. हम इनकी बिक्री के लिए जेल के बाहर और अन्य स्थानों पर स्टॉल लगाएंगे.''
उन्होंने कहा कि लोगों को पता होना चाहिए कि कैदी उनके समाज का हिस्सा हैं और वे भी इस तरह की पहल के माध्यम से समाज में योगदान देने की कोशिश कर रहे हैं. जिला जेल के अधीक्षक हरीश कोटवाल ने कहा, ‘‘ यह कैदियों के पुनर्वास और कौशल प्रशिक्षण पहल का एक हिस्सा है. वे कुशल हैं और जेल से बाहर आने के बाद अपने परिवार के लिए आजीविका कमा सकते हैं. वे लघु-स्तरीय इकाइयां स्थापित कर सकते हैं.''जिला जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे शक्ति कुमार इस कौशल प्रशिक्षण पहल का हिस्सा हैं.
बीते 10 साल से इस जेल में अपनी सजा काट रहे शक्ति कुमार ने कहा, ‘‘ मोम हमें बाहर से मिलता है. सामग्री दो कंपनियों से आती है. हम इसे उबालते हैं और फिर इससे विभिन्न रंगों की मोमबत्तियां और दीये बनाने के लिए एक मशीन में डालते हैं. हम कई डिजाइन की मोमबत्तियां बनाते हैं. ''उन्होंने कहा कि उन्हें और उनके साथियों को खुशी होती है जब उनकी बनाई मोमबत्तियों का इस्तेमाल लोग अपने घरों को रोशन करने के लिए करते हैं.
शक्ति कुमार ने यह भी कहा कि वह जेल के कैदियों को विभिन्न व्यवसायों में कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए कई तरह की पहल शुरू करने के लिए जेल अधिकारियों के आभारी हैं. जेल कर्मी दिवाली से पहले अम्फाला जेल के बाहर एक दुकान पर मोमबत्तियां और दीये बेच रहे हैं और उन्हें विभिन्न बाजारों में भी उपलब्ध करा रहे हैं.