500-Year-Old Desert Ship Mystery: सोचिए… दुनिया के सबसे वीरान रेगिस्तानों में अचानक अगर कोई लकड़ी की बीम झांकती मिले और वह सीधे 500 साल पुराने खजाने की ओर ले जाए तो? यकीनन भरोसा कर पाना मुश्किल होगा. कुछ ऐसा ही हुआ नामीबिया के स्पेरगेबिट (Sperrgebiet) के रेगिस्तान में, जहां 2008 में हीरे की तलाश करने गए खनिकों ने इतिहास का दरवाजा खोल दिया. रेत को हटाया गया और सामने आया एक ऐसा जहाज, जिसने दुनिया भर के पुरातत्वविदों को चौंका कर रख दिया. ये है 16वीं सदी का पुर्तगाली जहाज...बोम जीसस (Bom Jesus).
सोने-चांदी से भरा 'डेजर्ट शिप' (500-Year-Old Treasure Ship Emerges From Desert)
जैसे-जैसे रेत हटती गई, आंखें फैलती चली गईं.
2,000+ गोल्ड कॉइन्स.
हाथी दांत के टुकड़े.
हजारों पाउंड तांबे की सिल्लियां.
पुराने नौवहन उपकरण.
राजा João III की मुहर.
इतिहासकार बताते हैं कि ये सामान उस दौर के अंतरराष्ट्रीय व्यापार का 'लाइव प्रूफ' है, जब यूरोप भारत और अफ्रीका तक समुद्री रास्तों पर राज करता था.
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आखिर डूबा कैसे? एक्सपर्ट्स का जवाब (500 Year Old Ship)
स्केलेटन कोस्ट वैसे भी जहाजों का कब्रिस्तान माना जाता है. Doctor Dieter Noli के अनुसार, बोम जीसस भीषण तूफान में बहकर चट्टानों से टकराया और तट पर डूब गया. हैरानी की बात है कि मलबे में मानव अवशेष नहीं मिले, यानी या तो क्रू समुद्र में बह गया या रेत सब निगल गई.
dailygalaxy के मुताबिक, नामीब रेगिस्तान की अत्यधिक शुष्क रेत के नीचे संरक्षित 'बोम जीसस' नाम का यह पुर्तगाली जहाज 7 मार्च 1533 को पुर्तगाल के लिस्बन से भारत के लिए रवाना हुआ था और फिर अचानक रास्ते में ही गायब हो गया था. कई साल खोजने के बाद जहाज नहीं मिला. आखिरकार साल 2008 में हीरा खनन के दौरान नामीबिया के रेगिस्तान में इसका मलबा मिला है. बोम जीसस 2,000 से ज्यादा सोने के सिक्के, 22 टन तांबे की सिल्लियां और दर्जनों पश्चिमी अफ्रीकी हाथी दांत के दांत ले जा रहा था, जिससे यूरोप, अफ्रीका और एशिया में लगभग अक्षुण्ण मालवाहक प्रणाली का पता चलता है. अनुमान है कि यह जहाज केप ऑफ गुड होप के पास एक भयंकर तूफान के कारण रास्ते से भटक गया था, सदियों से पूरी तरह से रेत से घिरा हुआ था. सैकड़ों साल बाद जब पानी कम हुआ तो यह जहाज का मलबा मिला.
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खजाना किसका? नामीबिया या पुर्तगाल? (Bom Jesus Shipwreck)
UNESCO के नियमों के अनुसार, यह खजाना अब आधिकारिक रूप से नामीबिया का है. पुर्तगाल ने भी इसे 'उपनिवेशवाद के बाद साझेदारी' का उदाहरण बताते हुए दावा नहीं किया. अब नामीबिया इस अनोखी खोज को विशेष म्यूजियम में प्रदर्शित करने की तैयारी कर रहा है.
500 साल बाद भी सब सुरक्षित क्यों? (Gold coins hidden underground)
रेगिस्तान का सूखा मौसम, तेज हवाएं और लगातार बदलते टीले...इन सबने खजाने को प्राकृतिक तरीके से संरक्षित रखा. यही वजह है कि आज भी सिक्के चमकते हैं और तांबे की सिल्लियां लगभग उसी रूप में मिलीं जैसे 1533 में जहाज पर थीं.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)













