Viral Videos Controversy: तीन वायरल वीडियो, तीन बड़े सवाल...पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तीन अलग-अलग वायरल वीडियो '5 मिनट 39 सेकंड, 19 मिनट और 40 मिनट' लगातार चर्चा में हैं. इन क्लिप्स को लेकर यूजर्स के बीच गुस्सा, भ्रम और जिज्ञासा तीनों देखने को मिल रही है. सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या ये वीडियो असली हैं या फिर AI deepfake technology का खतरनाक इस्तेमाल? विशेषज्ञों का कहना है कि बिना पुष्टि किसी भी वायरल वीडियो को शेयर करना न सिर्फ गलत है, बल्कि यह कानूनन अपराध भी हो सकता है.
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5 मिनट 39 सेकंड का वीडियो (5 Minute 39 Second Video)
5 मिनट 39 सेकंड का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे लेकर बेहद गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं. हालांकि, इस वीडियो की अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. कई सोशल मीडिया यूजर्स और डिजिटल सेफ्टी एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह AI deepfake video भी हो सकता है, जिसे जानबूझकर लोगों को भड़काने के लिए फैलाया गया. यही वजह है कि पुलिस और साइबर सेल लगातार लोगों से अपील कर रहे हैं कि बिना वेरिफिकेशन ऐसे संवेदनशील कंटेंट को न देखें, न शेयर करें.
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19 मिनट का वायरल वीडियो और इन्फ्लुएंसर विवाद (19-Minute Viral Video and Influencer Controversy)
19 मिनट का वायरल वीडियो बंगाली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर Sofik SK से जुड़ा बताया जा रहा है. यह कथित तौर पर एक लीक्ड प्राइवेट वीडियो था, जिसके बाद इंटरनेट पर भारी हंगामा मच गया. वीडियो वायरल होने के बाद Sofik SK और उनकी गर्लफ्रेंड दोनों ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी भी मांगी. दिलचस्प बात यह रही कि विवाद के बाद Sofik SK के Instagram followers तेजी से बढ़कर 5.36 लाख (536K) तक पहुंच गए, जो सोशल मीडिया ट्रेंड और नेगेटिव वायरलिटी पर भी सवाल खड़े करता है.
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40 मिनट का वायरल वीडियो, भरोसे की वजह? (40-Minute Viral Video: Length Creating False Trust?)
40 मिनट का वायरल वीडियो भी इन दिनों खूब शेयर किया जा रहा है. इस वीडियो की लेंथ के कारण कई लोग इसे 'असली' मानने लगे, जबकि इसके सोर्स और ऑथेंटिसिटी को लेकर अब भी कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई है. डिजिटल एक्सपर्ट्स चेतावनी देते हैं कि वीडियो की लंबाई कभी भी उसकी सच्चाई का प्रमाण नहीं हो सकती, खासकर AI-generated content के इस दौर में.
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AI Deepfake का युवाओं पर खतरनाक असर (Dangerous Impact of AI Deepfakes on Youth)
AI deepfake technology आज युवाओं के लिए एक गंभीर खतरा बनती जा रही है. कुछ तस्वीरों या छोटे क्लिप्स के जरिये किसी का चेहरा या आवाज बदलकर फेक वीडियो बनाए जा सकते हैं, जो मिनटों में वायरल हो जाते हैं. ऐसे मामलों में पीड़ितों को ऑनलाइन ट्रोलिंग, साइबर बुलिंग, मानसिक तनाव, एंग्जायटी और सामाजिक बदनामी का सामना करना पड़ता है. कई बार इसका असर करियर और निजी जीवन तक पर पड़ता है.
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यह खबर क्यों है जरूरी? (Why This News Matters)
यह मामला सिर्फ वायरल वीडियो का नहीं, बल्कि डिजिटल जिम्मेदारी, प्राइवेसी और AI misuse का भी है. आज जब कोई भी वीडियो मिनटों में वायरल हो सकता है, तब सच और झूठ के बीच फर्क करना पहले से ज्यादा जरूरी हो गया है. वायरल वीडियो और AI deepfake के इस दौर में हर यूजर की जिम्मेदारी है कि वह बिना पुष्टि किसी भी संवेदनशील कंटेंट को शेयर न करे. जागरूकता, डिजिटल साक्षरता और कानूनी समझ ही इस खतरे से बचने का सबसे बड़ा हथियार है.
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