- खगोलविदों ने डबल-विस्फोट का पहला फोटोग्राफिक सबूत खोजा है जो एक मृत तारे से संबंधित है.
- यह घटना तारामंडल डोरैडो में 60,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित सुपरनोवा के अवशेषों से जुड़ी है.
- वेरी लार्ज टेलीस्कोप का उपयोग कर सुपरनोवा के भीतर संरचनाओं की पहचान की गई है.
- इस खोज से तारकीय घटनाओं की गहराई और उनके विकास को समझने में सहायता मिलेगी.
Star's Double Detonation: हम इंसान केवल एक बार जींदा होते हैं और एक बार मरते हैं. लेकिन कुछ तारे दो बार मरते हैं. खगोलविदों (एस्ट्रोनॉमर्स) ने अब इस घटना का तस्वीर के रूप में पहला सबूत खोज लिया है. एक ऐसे मृत तारे की तस्वीर टेलीस्कोप में पहली बार कैद हुई है जो "डबल-विस्फोट" से गुजरा था.
यूरोपीयन सदर्न ऑबजर्वेटरी का वेरी लार्ज टेलीस्कोप (VLT) और इसके मल्टी यूनिट स्पेक्ट्रोस्कोपिक एक्सप्लोरर (MUSE)) उपकरण का उपयोग करते हुए एस्ट्रोनॉमर्स की टीम ने तारामंडल डोरैडो में 60,000 प्रकाश वर्ष (लाइट ईयर) दूर स्थित सुपरनोवा एसएनआर 0509-67.5 के सदियों पुराने अवशेषों पर जूम किया. इस जांच से इस विस्फोटक मलबे के भीतर संरचनाओं का पता चला जो यह संकेत देते हैं कि जब यह तारा था तब इसमें एक बार नहीं बल्कि दो बार विस्फोटित हुआ.
यूरोपीयन सदर्न ऑबजर्वेटरी का वेरी लार्ज टेलीस्कोप
अब आपके मन में सवाल आ सकता है कि यह "डबल-विस्फोट" क्या होता है, सुपरनोवा क्या होता है और चंद्रशेखर लीमिट क्या होता है. हम हैं न, बताने के लिए.
किसी तारे में विस्फोट को सुपरनोवा कहते हैं और इस तरह किसी तारे की ‘मौत' होती है. इसमें आम तौर पर अपने सूरज के आठ गुना से अधिक द्रव्यमान (Mass) वाला एक तारा शामिल होता है जो अपने परमाणु ईंधन को समाप्त कर देता है और एक शक्तिशाली विस्फोट को ट्रिगर करते हुए उस तारे का कोर खत्म हो जाता है. चन्द्रशेखर लीमिट वह न्यूनतम द्रव्यमान (minimum mass) है जो किसी तारे को सुपरनोवा में जाने यानी विस्फोट होकर उसके कोर के खत्म होने के लिए आवश्यक होता है.
दुर्लभ प्रकार के सुपरनोवा में एक अलग प्रकार का तारा शामिल होता है जिसमें एक के बाद एक दोहरा विस्फोट होता है. यूरोपीयन सदर्न ऑबजर्वेटरी के चिली स्थित वेरी लार्ज टेलीस्कोप का उपयोग करके रिसर्चर ने पहली बार इस प्रकार के सुपरनोवा के फोटोग्राफिक सबूत प्राप्त किए हैं.
जिस तारे में डबल विस्फोट हुआ था और जिसकी तस्वीर कैद हुई है वह व्हाइट ड्वॉर्फ था. व्हाइट ड्वॉर्फ तब बनता है जब एक कम द्रव्यमान वाला तारा अपने सभी केंद्रीय परमाणु ईंधन को खत्म कर देता है और अपनी बाहरी परतों को खो देता है. एक व्हाइट ड्वॉर्फ बहुत घना (डेंस) होता है. इसका आकार तो अपनी पृथ्वी के बराबर होगा लेकिन यह सूर्य के बराबर द्रव्यमान रखता है.
व्हाइट ड्वॉर्फ जिस प्रकार के सुपरनोवा विस्फोटों से गुजरते हैं उसे टाइप Ia सुपरनोवा कहते हैं. एस्ट्रोनॉमर्स के लिए सुपरनोवा का यह प्रकार महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनका उपयोग ब्रह्मांडीय दूरियों को मापने के लिए किया जा सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि दोहरे विस्फोट वाले व्हाइट ड्वॉर्फ के तस्वीरों के साथ पहले सबूत से इन महत्वपूर्ण तारकीय घटनाओं की छिपी गहराई का पता चलेगा.