रूस सरकार की अंतरिक्ष एजेंसी ने स्पेसपार्ट बैकोनुर (Baikonur)में बड़े रॉकेट पर पेंट किए गए अमेरिका, ब्रिटेन और जापान सहित कई देशों के झंडे हटा दिए हैं जबकि भारत के झंडे को बरकरार रखा गया है. अंतरिक्ष एजेंसी Roscosmos का यह प्रतीकात्मक कदम इन देशों के साथ संबंधों को दर्शाता है. रूस की ओर से NATO (नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन) में शामिल होने की यूक्रेन की कोशिश के विरोध में किए गए हमले के करीब एक हफ्ते बादयह कदम उठाया गया है.
गौरतलब है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर की ओर से यूक्रेन के हमले के ऐलान के बाद रूसी सेना ने कीव सहित यूक्रेन के प्रमुख शहरों पर ताबड़तोड़ हमले किए गए. रूस के हमले के विरोध में NATO के सदस्य देश फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन तथा अमेरिका के करीबी जापान जैसे देश ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है . Roscosmos के महानिदेशक दमित्री ओलेगोविच रोगिजिन (Dmitry Olegovich Rogozin)ने ट्वीट किया ,'Baikonur का लांच करने वालों ने फैसला किया कि कुछ देशों के ध्वजों के बगैर ही हमारा रॉकेट अधिक खूबसूरत लगेगा.'
ट्वीट में एक वीडियो है जिसमें स्पेसपोर्ट पर रूसी कर्मचारियों को दूसरे देशों के झंडे को मिटाते हुए देखा जा सकता है. हालांकि भारत के झंडे को बरकरार रखा गया है. बता दें कि भारत ने बुधवार को यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमले की निंदा करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के प्रस्ताव पर वोटिंग में भाग नहीं लिया था.मॉस्को और कीव के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर एक सप्ताह से भी कम समय में संयुक्त राष्ट्र में लाए गए तीसरे प्रस्ताव में भारत ने भाग नहीं लिया.
प्रस्ताव पर मतदान के बाद अपने बयान में संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत यूक्रेन में तेजी से बिगड़ते हालात और मानवीय संकट को लेकर बेहद चिंतित है.वहीं, 193 सदस्यीय महासभा ने बुधवार को यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि करने के लिए मतदान किया और यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की ''कड़े शब्दों में निंदा'' की। प्रस्ताव के पक्ष में 141 वोट पड़े जबकि 35 सदस्यों ने मतदान में भाग नहीं लिया थे और पांच सदस्यों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया. प्रस्ताव पारित होने पर महासभा में तालियां बजाई गईं.प्रस्ताव के महासभा में पारित होने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है.प्रस्ताव में परमाणु बलों को मुस्तैद करने के रूस के फैसले की भी निंदा की गई। साथ ही यूक्रेन के खिलाफ बल के इस ''गैरकानूनी उपयोग'' में बेलारूस की भागीदारी की भी निंदा की गई. प्रस्ताव में राजनीतिक वार्ता, मध्यस्थता और अन्य शांतिपूर्ण तरीकों से रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष के तत्काल शांतिपूर्ण समाधान का आग्रह किया गया है.
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