US ने उम्मीद जताई - यूक्रेन पर रूसी हमले की सूरत में अमेरिका का साथ देगा भारत

भारत सहित अन्य पड़ोसियों के खिलाफ चीन के आक्रामक रुख का प्रत्यक्ष जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बड़े देश छोटे देशों को परेशान नहीं कर सकते. किसी देश के लोग अपनी विदेश नीति, अपने साझेदार, गठबंधन सहयोगी आदि चुनने के हकदार हैं. ये सिद्धांत यूरोप की भांति हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी समान रूप से लागू होते हैं.

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रूस ने यूक्रेन की सीमा पर सैनिकों की तैनाती कर रखी है... (फाइल फोटो)
वाशिंगटन:

अमेरिका (America) ने बुधवार को उम्मीद जताई कि नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध भारत, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की सूरत में अमेरिका का साथ देगा. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने कहा है कि रूस (Russian-Ukraine issue) ने हाल के दिनों में यूक्रेन की सीमा पर सात हजार अतिरिक्त सैनिक तैनात किए हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया कि चार देशों (क्वाड) के विदेश मंत्रियों के बीच हाल में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में हुई बैठक में रूस और यूक्रेन के मुद्दे पर चर्चा हुई. भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के विदेश मंत्री इस बैठक में शामिल हुए थे.  प्राइस ने कहा कि बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि इस मामले के राजनयिक-शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है. 

प्रवक्ता ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘क्वाड नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने का पक्षधर है. नियम आधारित व्यवस्था हिंद प्रशांत क्षेत्र में समान रूप से लागू होती है, जैसे कि यह यूरोप में है या अन्य कहीं है. हम जानते हैं कि हमारे भारतीय साझेदार नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध है। इस व्यवस्था में अनेक नियम हैं, उनमें से एक यह है कि बल के जरिए सीमाओं का पुनर्निर्धारण नहीं हो सकता.

भारत सहित अन्य पड़ोसियों के खिलाफ चीन के आक्रामक रुख का प्रत्यक्ष जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बड़े देश छोटे देशों को परेशान नहीं कर सकते. किसी देश के लोग अपनी विदेश नीति, अपने साझेदार, गठबंधन सहयोगी आदि चुनने के हकदार हैं. ये सिद्धांत यूरोप की भांति हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी समान रूप से लागू होते हैं. भारत,अमेरिका और अन्य शक्तिशाली देश क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य दखलंदाजी के मद्देनजर स्वतंत्र, मुक्त और उन्नत हिंद प्रशांत सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर देते रहे हैं।

चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है,वहीं ताइवान, फिलिपीन्स, ब्रुनेई,मलेशिया और वियतनाम जैसे देश भी इसपर अपना दावा करते हैं. चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान निर्मित कर लिए हैं।

प्राइस ने कहा कि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की, लेकिन उन्होंने इस बात पर कुछ भी बोलने से परहेज किया कि क्या ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन्स' अधिनियम (कात्सा) के तहत कार्रवाई पर भी कोई चर्चा हुई या नहीं. अमेरिकी कांग्रेस ने वर्ष 2017 में इसे लागू किया था. रूस से रक्षा तथा खुफिया क्षेत्र से जुड़े साजो सामान की खरीद फरोख्त करने वाले देशों पर कात्सा के तहत कार्रवाई का प्रावधान है. उन्होंने कहा,‘‘ रक्षा संबंधों पर व्यापक चर्चा हुई, लेकिन इससे ज्यादा मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहूंगा.''

भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस से पांच एस-400 हवाई रक्षा प्रणाली की खरीद के लिए पांच अरब डॉलर का सौदा किया था. उस वक्त राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि इस सौदे से भारत पर प्रतिबंध लग सकते हैं. इससे पहले ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका मॉस्को द्वारा पैदा किए गए संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. 

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विदेश मंत्री ने संवाददाताओं से कहा था,‘‘ लेकिन वे प्रयास,जैसा कि हम कह चुके हैं, केवल तभी प्रभावी होंगे जब रूसी संघ सैनिकों की संख्या को कम करने को तैयार हो.'' अमेरिका प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि रूस ने यूक्रेन की सीमा से बलों की वापसी की अपनी घोषणा के विपरीत क्षेत्र में कम से कम 7,000 और बलों को तैनात किया है. 

प्राइस ने कहा,‘‘स्पष्ट तौर पर कहा जाए तो हमने यह नहीं देखा है। बल्कि हाल के सप्ताह में, दिनों में हमने इससे ठीक उलट देखा है. रूसी बल सीमा पर हैं और वे युद्ध की स्थिति के जैसे तैनात हो रहे हैं. ये घोर चिंता की बात है. इसी के साथ, कई सप्ताह से हम देख रहे हैं कि रूसी अधिकारी और रूसी मीडिया प्रेस में कई कहानियां फैला रहे हैं.'' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इनमें से किसी को भी आक्रमण के कारण के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

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उन्होंने कहा,‘‘ ये हो सकता है, किसी भी वक्त और विश्व को इसके लिए तैयार रहना होगा. इसके लिए यूक्रेनी सेना की डोन्बास में गतिविधियों, जमीन,हवाई और समुद्र में अमेरिका अथवा नाटो बलों की गतिविधियों के झूठे दावों का भी सहारा लिया जा सकता है.'' वहीं रूस यूक्रेन पर हमले की खबरों को लगातार खारिज करता रहा है। उसकी मांग है कि यूक्रेन और सोवियत संघ के पूर्व देशों को नाटो में शामिल नहीं किया जाए.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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