पाकिस्तान के कब्जे (पीओके) वाले कश्मीर में गेहूं के आटे, बिजली की ऊंची कीमतों और अधिक कर के खिलाफ शुरू की गई पूर्ण हड़ताल सोमवार को चौथे दिन भी जारी रही, जिसके चलते देश की सरकार को क्षेत्र में बढ़ती अशांति को खत्म करने के लिए तत्काल 23 अरब रुपये आवंटित करने पड़े. विवादित क्षेत्र में शनिवार को पुलिस और मानवाधिकार आंदोलन के कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे. घायलों में ज्यादातर पुलिसकर्मी थे. शुक्रवार को पूर्ण हड़ताल करने से जनजीवन ठप हो गया.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि वह स्थिति को लेकर 'काफी चिंतित' हैं. उन्होंने प्रदर्शनकारियों और क्षेत्रीय सरकार के बीच गतिरोध समाप्त होने के बाद, क्षेत्र के लिए तत्काल 23 अरब रुपये प्रदान करने को सोमवार को मंजूरी दी. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा कि अप्रत्याशित विरोध और इसकी संवेदनशीलता से चिंतित प्रधानमंत्री शरीफ ने सोमवार को यहां एक विशेष बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें पीओके के 'प्रधानमंत्री' चौधरी अनवारुल हक, स्थानीय मंत्री और शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व ने भाग लिया.
बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री शरीफ ने पीओके के लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए 23 अरब रुपये के तत्काल अनुदान को मंजूरी दी. बयान में कहा गया है कि बैठक में संघीय मंत्रियों और गठबंधन दलों के नेताओं ने भी हिस्सा लिया, बैठक में स्थिति की विस्तृत समीक्षा की गई. पीएमओ ने कहा कि कश्मीर के नेताओं और सभी प्रतिभागियों ने शहबाज के फैसले की सराहना की. पीओके के “प्रधानमंत्री” चौधरी अनवार-उल- हक ने शरीफ की अध्यक्षता में हुई बैठक के तत्काल बाद बिजली दरों में कटौती की घोषणा की.
हक ने कहा कि निवासी पिछले कुछ दिनों से सस्ती बिजली और आटा सब्सिडी की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी सुलभ बिजली और सस्ती रोटी की आवश्यकता को नजरअंदाज नहीं कर सकता है. उन्होंने रोटी की कीमतों में कटौती की भी घोषणा की. जम्मू कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (जेएएसी) के सदस्य क्षेत्र में जलविद्युत उत्पादन लागत के अनुसार बिजली की कीमतों को तय करने, गेहूं के आटे पर सब्सिडी और कुलीन वर्ग के विशेषाधिकारों को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं. जेएएसी के नेतृत्व में पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) की राजधानी मुजफ्फराबाद में एक लंबा मार्च निकाला गया.
जेएएसी कोर कमेटी और क्षेत्र के मुख्य सचिव दाऊद बराच के बीच हुई बातचीत में कोई समाधान न निकलने के बाद प्रदर्शनकारियों ने मुजफ्फराबाद की ओर कूच करने का एलान किया. रावलकोट के एक प्रदर्शनकारी नेता ने सरकार पर टालमटोल की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया. पाकिस्तानी अखबार डॉन में प्रकाशित खबर के मुताबिक प्रदर्शनकारी पहले ही कई स्थानों पर कोहाला-मुजफ्फराबाद रोड को बंद कर वहां धरने पर बैठ हुए हैं. खबर में बताया गया कि चौराहों और संवेदनशील स्थानों पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. बाजार, व्यापार केंद्र और शैक्षणिक संस्थान बंद हैं, जबकि यातायात सेवाएं ठप्प हैं.
मीरपुर में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच शनिवार को झड़प होने के बाद तथाकथित सरकार ने रेंजर्स को बुलाया था. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सभी हितधारकों से संयम बरतने और बातचीत तथा आपसी परामर्श के माध्यम से मुद्दों को हल करने का आग्रह किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राजनीतिक दलों, राज्य संस्थानों और क्षेत्र के लोगों को जिम्मेदारी से काम करना चाहिए ताकि विरोधी अपने लाभ के लिए स्थिति का फायदा न उठा सकें. राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि कानून के अनुसार क्षेत्र के लोगों की मांग को पूरा किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह मौजूदा स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता तलाशने के लिए प्रधानमंत्री शरीफ से इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे.
राष्ट्रपति ने वर्तमान स्थिति पर खेद व्यक्त किया. उन्होंने पुलिस अधिकारी की दुर्भाग्यपूर्ण मौत पर दुख जताया और झड़पों में घायल हुए सभी लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की. अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को पुंछ-कोटली रोड पर एक मजिस्ट्रेट की कार समेत कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया. इसके अलावा पूरे क्षेत्र में बाजार, व्यापार केंद्र, कार्यालय, स्कूल और रेस्तरां बंद रहे. पीओके के विभिन्न स्थानों में हिंसा होने के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मुजफ्फराबाद में दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया. एक दिन पहले ही सरकार ने क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी थीं.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)