फिलिस्तीनी बनकर गाजा में घुसे थे इजरायल के एजेंट, फिल्मी स्टाइल में हमास की कैद से 4 बंधकों को छुड़ाया

इस ऑपरेशन के दौरान 274 फिलिस्तीनियों की मौत भी हुई थी. इसके अलावा 400 से अधिक लोग घायल हुए थे. हालांकि, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 116 लोगों के मारे जाने की बात स्वीकार की थी.

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इजरायल और हमास के बीच 7 अक्टूबर 2023 से जंग चल रही है.
तेल अवीव/गाजा:

इजरायल (Israel-Palestine War) और फिलिस्तीनी संगठन हमास (Hamas) के बीच 9 महीने से जंग चल रही है. 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने गाजा पट्टी (Gaza Strip) से इजरायल की तरफ 5 हजार से ज्यादा रॉकेट दागे थे. हमास के लड़ाकों ने घुसपैठ कर कई लोगों की हत्या कर दी थी. 240 से ज्यादा लोगों को बंधक भी बनाकर गाजा ले जाया गया था. उसके बाद से इजरायल गाजा पर जबावी कार्रवाई कर रहा है. इजरायल ने बीते शनिवार को हमास की कैद से 4 बंधकों छुड़ाया था. इजरायली सेना ने गाजा के नुसीरत रिफ्यूजी कैंप में फायरिंग के बीच इस ऑपरेशन को अंजाम दिया था. 

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इस ऑपरेशन के दौरान 274 फिलिस्तीनियों की मौत भी हुई थी. इसके अलावा 400 से अधिक लोग घायल हुए थे. हालांकि, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 116 लोगों के मारे जाने की बात स्वीकार की थी. हमास की कैद से छुड़ाए गए लोगों में 27 साल के एंड्री कोजलोव, 22 साल की अल्मोग मीर जान और 41 वर्षीय श्लोमी जिव और 26 वर्षीय नोआ अरगामनी शामिल हैं. नोआ अरगामनी ने हमास की कैद में गुजारे गए दिनों को याद करते हुए अपनी आपबीती सुनाई है.

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नुसीरात रिफ्यूजी कैंप गाजा पट्टी के मध्य में फिलिस्तीनी क्षेत्र के काफी अंदर स्थित है. इसी कैंप में हमास ने इजरायली महिला नोआ अरगामनी को बंधक बनाकर रखा था. 'वॉशिंगटन पोस्ट' की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अरगामनी और बाकी तीन बंधकों को आजाद करने के लिए इजरायली कमांडो ने सीक्रेट ऑपरेशन शुरू किया था. कमांडोज अंडरकवर एजेंट बनकर कैंप में घुसे थे.

रेस्क्यू ऑपरेशन के दिन यानी शनिवार सुबह 11 बजे इजरायली सैनिक उस अपार्टमेंट में घुसे, जहां अरगामनी समेत चारों को रखा गया था. रिपोर्ट के मुताबिक नोआ अरगामनी बताती हैं, "हमास के लड़ाकों ने मेरा मनोबल तोड़ने की भरपूर कोशिश की. मुझसे कहा जाता था कि मेरे परिवार वालों ने मुझे मरने के लिए छोड़ दिया है. मेरी मां ग्रीस में छुट्टियां मना रही हैं. मुझे कोई लेने नहीं आएगा. मुझे मार दिया जाएगा." अरगामनी कहती हैं, "मुझे इतना डर लगा कि जब इजरायली कमांडो हमें बचाने आए, तो मुझे लगा कि वो हमें मारने वाले हैं." 

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रिपोर्ट में कहा गया है कि हफ्तों तक योजनाबद्ध तरीके से चलाए गए इस ऑपरेशन में हजारों सैनिकों और एडवांस टेक्निकल सपोर्ट से मदद मिली. यही नहीं, अमेरिकी मदद से इजरायल के इंटेलिजेंस ने बंधकों का पता लगाने के लिए डिजिटल डेटा, ड्रोन फुटेज और कम्युनिकेशन इंटरसेप्ट का एनालिसिस किया.

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रिपोर्ट के मुताबिक, नुसीरात रिफ्यूजी कैंप में बंधकों के लोकेशन को ट्रेस करने के लिए इजरायली सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन का बाकायदा मॉक-ड्रिल किया था. ये रेस्क्यू ऑपरेशन 1976 में चर्चित ऑपरेशन एंटेबे की याद दिलाता है. यह एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन तेल अवीव-पेरिस रूट पर एयर फ्रांस से ऑपरेट होने वाले एक इंटरनेशल सिविल फ्लाइट के अपरहरण का पता लगाने के लिए युगांडा में शुरू किया गया था. लेकिन इजरायली सेना ने ऑपरेशन के लिए सुबह के समय को मुफीद माना.

सुबह होते ही मिशन शुरू कर दिया गया, इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) चीफ ऑफ स्टाफ हर्जी हलेवी और दूसरे टॉप सिक्योरिटी ऑफिसरों ने एक कमांड रूम से मॉनिटरिंग की. सीक्रेट व्हीकल में छिपी स्पेशल फोर्स बल टारगेट एरिया तक पहुंचे. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जब इजरायली सैनिकों ने हमास के आतंकवादियों से मुकाबला किया तो अचानक गोलीबारी शुरू हो गई.

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इस दौरान अरगामनी को बचाने में शुरुआती सफलता के बावजूद बाकी बंधकों को छुड़ाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. हालांकि, आखिरकार चारों बंधकों को छुड़ा लिया गया.

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