UN महासचिव ने भारत में मानवाधिकारों की हालत की सख़्त शब्दों में की आलोचना

एंटोनियो गुटरेस (Antonio Guterres) ने मुंबई में भाषण के दौरान कहा, मानवाधिकार आयोग का चुना हुआ सदस्य होने के नाते, भारत (India) की यह ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वो वैश्विक मानवाधिकारों (Global Human Rights) को आकार दे, सभी व्यक्तियों के मानवाधिकारों की रक्षा करे और उन्हें बढ़ावा दे."

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महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू का उदाहरण देते हुए गुटरेस ने कहा कि उनके आदर्शों की रक्षा "नफरती भाषण की निंदा कर की जानी चाहिए." 
मुंबई:

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटरेस (United Nations Secretary-General Antonio Guterres) ने भारत (India) में मानवाधिकारों (Human Rights) की हालात की आलोचना की है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सत्ता में आए हैं, धार्मिक अल्पसंख्यकों (Religious Minorites) का उत्पीड़न और उनके खिलाफ नफरती भाषण (Hate Speech) कथित तौर पर बढ़ गए हैं. न्यूज़ एजेंसी एएफपी के अनुसार,  सरकार की आलोचना करने वालों और पत्रकारों पर भी दबाव बढ़ा है. खास कर महिला पत्रकारों पर, कई महिला पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन उत्पीड़न बढ़ गया है. उन्हें जान से मारने और रेप की धमकियां भी मिलती हैं. एंटोनियो गुटरेस ने मुंबई में भाषण के दौरान कहा, मानवाधिकार आयोग का चुना हुआ सदस्य होने के नाते, भारत की यह ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वो वैश्विक मानवाधिकारों को आकार दे, सभी व्यक्तियों के मानवाधिकारों की रक्षा करे और उन्हें बढ़ावा दे."

हालांकि उन्होंने ब्रिटिश शासन के बाद के भारत की 75 साल की उपलब्धियों की प्रशंसा की लेकिन उन्होंने कहा कि यह समझना होगा कि विविधता ही संपन्नता है...इसे बढ़ावा देना चाहिए, मज़बूत करना चाहिए और हर दिन इसे ताज किया जाना चाहिए. " 

महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू का उदाहरण देते हुए गुटरेस ने कहा कि उनके आदर्शों की रक्षा "नफरती भाषण की निंदा कर की जानी चाहिए." 

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उन्होंने कहा, भारत को यह करना होगा, "पत्रकारों, मानावधिकार कार्यकर्ताओं, छात्रों और शिक्षाविदों के अधिकारों की रक्षा करनी होगी. साथ ही भारत की न्यायपालिका की स्वतंत्रता भी बनाए रखनी होगी." 

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एंटोनियो गुटरेस ने कहा कि वैश्विक मंच पर भारत की आवाज़ में अधिकार और विश्वस्नीयता तभी बढ़ सकेगी जब स्वदेश में समग्रता और मानवाधिकारों के लिए सम्मान के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता होगी." 
उन्होंने कहा कि लैंगिग समानता और महिला अधिकारों के लिए अभी बहुत कुछ किए जाने की ज़रूरत है.  

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उन्होंने कहा, "मैं भारतीयों से समग्र, बहुलवादी और विविध समुदायों और समाजों के प्रति चौकस रहने और निवेश बढ़ाने की अपील करता हूं." 

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भारत सरकार की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया की अभी प्रतीक्षा है.  

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