- यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंसकी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर खास बात की है.
- पीएम मोदी ने संघर्ष के शीघ्र और शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर भारत की स्थिर और स्पष्ट स्थिति जताई.
- जेलेंसकी ने रूसी हमलों में यूक्रेन के नागरिकों को हुए नुकसान और जलपाज्जिया बस अड्डे पर हुए हमले की जानकारी दी.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की है. दोनों नेताओं के बीच यह वार्ता ऐसे समय में हुई है जब कुछ दिनों बाद ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में खास मुलाकात होने वाली है. दोनों नेता इस दौरान रूस यूक्रेन को खत्म करने पर चर्चा कर सकते हैं.
युद्ध पर हुई चर्चा
पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा है, 'राष्ट्रपति जेलेंस्की से बात करके और हाल के घटनाक्रमों पर उनके विचार जानकर मुझे खुशी हुई. मैंने संघर्ष के शीघ्र और शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत पर भारत की दृढ़ स्थिति के बारे में उन्हें बताया है. भारत इस संबंध में हर संभव योगदान देने के साथ-साथ यूक्रेन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है.' पीएम मोदी और जेंलेस्की पिछले साल न्यूयॉर्क में मिले थे और इस दौरान दोनों के बीच युद्ध खत्म करने को लेकर चर्चा हुई थी.
जेलेंस्की ने बताई क्या बात
वहीं जेलेंस्की ने इस मीटिंग के बारे में एक्स पर लिखा, 'भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मेरी लंबी बातचीत हुई. हमने सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की – हमारे द्विपक्षीय सहयोग और समग्र कूटनीतिक स्थिति, दोनों पर. मैं प्रधानमंत्री का हमारे लोगों के प्रति उनके गर्मजोशी भरे समर्थन के लिए आभारी हूं. मैंने हमारे शहरों और गांवों पर रूसी हमलों और कल जापोरिज्जिया के बस अड्डे पर हुए हमले के बारे में बताया. यहां एक नियमित शहरी सुविधा पर रूस की ओर से जानबूझकर की गई बमबारी में दर्जनों लोग घायल हो गए. और यह ऐसे समय में है जब युद्ध को समाप्त करने की अंततः कूटनीतिक संभावना है. युद्धविराम के लिए तत्परता दिखाने के बजाय, रूस केवल कब्जा और हत्याएं जारी रखने की अपनी इच्छा दिखा रहा है.'
न्यूयॉर्क में होगी मुलाकात
जेलेंस्की के अनुसार यह महत्वपूर्ण है कि भारत शांति प्रयासों का समर्थन कर रहा है और इस स्थिति से सहमत है कि यूक्रेन से जुड़ी हर चीज का फैसला यूक्रेन की भागीदारी से ही लिया जाना चाहिए. अन्य तरीकों से परिणाम नहीं मिलेंगे. जेलेंस्की ने यह भी बताया कि पीएम मोदी ने सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान एक द्विपक्षीय मुलाकात और यात्राओं के आदान-प्रदान पर काम करने पर सहमत हुए.