यूक्रेन(Ukraine) के शहर खारकीव (Kharkiv) से जान बचाकर भागे भारतीय छात्र (Indian Students) भूखे-प्यासे (Hungry) मदद का इंतज़ार कर रहे हैं. भारतीय दूतावास के निर्देश के अनुसार खारकीव से भारतीय छात्रों को जल्द से जल्द निकलने को कहा गया था. यूक्रेन पर रूस के घातक हमलों के कारण हफ्ते भर से जारी बमबारी में यूक्रेन में कई इमारतें तबाह हो गई हैं और मिसाइल हमलों से यूक्रेन का आसमान भर गया है. इसी वजह से भारतीय छात्रों से कहा गया था कि आप तुरंत खारखीव छोड़कर पेसोचिन (Pisochyn) पहुंचिए वहां आपको भारतीय दूतावास की ओर से मदद मिलेगी. खारकीव से पेसोचिन करीब 500 भारतीय छात्र पहुंचे हैं. उन्हें सिर छिपाने के लिए जगह तो मिल गई है लेकिन भूख से उनकी हालत खराब हो रही है.
पेसोचिन पहुंचे डेनिस ने बताया, "हमने दिन भर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतज़ार किया. खतरे की खबर मिलते ही वहां से पेसोचिन की ओर भागे. हमारे कंधों पर भारी बैग थे. रात तक रास्ता ढूंढते हुए पेसोचिन पहुंचे. हमें यहां एक हॉस्टल जैसी जगह पर रखा गया है. बताया गया है कि ये इंतजाम भारतीय दूतावास ने किया है. लेकिन रात-से सुबह हो गई है लेकिन अभी तक खाने को कुछ नहीं मिला है."
यूक्रेन (Ukraine) के शहर खारकीव (Kharkiv) को शाम 6 बजे तक छोड़ने की भारतीय दूतावास (Indian Embassy) की एडवायज़री के बाद खारकीव से 1000 हज़ार से ज़्यादा भारतीय स्टूडेंट (Indian Student) शहर से बाहर की तरफ निकल पड़े थे.
भारतीय झंडे के साथ निकले थे खारकीव से
खारकीव रेलवे स्टेशन से पेसोचिन अपने साथियों के संग पैदल निकले डेनिस से NDTV की बात हुई थी. उन्होंने बताया था, "रूस की बमबारी के खतरे के बीच हम भारतीय झंडे को लेकर पैदल ही खारकीव से बाहर जा रहे हैं."
कई सूत्रों से पेसोचिन में भारतीय छात्रों के भूखे होने की खबरें मिल रही हैं. पेसोचिन पहुंचे छात्रों के माता-पिता भारत में परेशान हैं.
डेनिस ने बताया कि हमें बताया गया है कि आज शायद कुछ खाने को मिलेगा. अभी तक हमें दूतावास की ओर से कुछ नहीं बताया गया है. ऐसा कहा जा रहा है कि पेसोचिन के हॉस्टल के पास कोई रेलवे स्टेशन है. वहां से भारतीय स्टूडेंट्स के लिए ट्रेनों का इंतजाम किया जाएगा. लेकिन अभी तक कुछ पक्का नहीं है. हमने केवल यह ट्विटर पर देखा है.
हमें उम्मीद है कि भारतीय दूतावास हमारी मदद करेगा. लेकिन अभी तक हमें कुछ भी नहीं पता है.
डेनिस ने भारतीय दूतावास के अधिकारियों से जल्द से जल्द यूक्रेन से निकालने की अपील की है. डेनिस ने कहा," मेरी अपील है कि हमें जल्द से जल्द यूक्रेन से निकाला जाए, ताकि हम सुरक्षित रह सकें."
खारकीव से निकलने छात्र पेसोचिन (Pisochin),बाबाये (Babaye) और बेजलियुडोवका (Bezlyudovaka) की ओर बढ़ रहे थे. इनमें सबसे करीब पेसेचिन है. जो खारकीव से लगभग 12 किलोमीटर दूर एक कस्बा है. यहां तक खारकीव से पैदल पहुंचने में दो-ढ़ाई घंटे का समय लगता है.
कुछ छात्र बीती रात खारकीव में ही फंसे हुए थे. अब इन छात्रों का दल खारकीव ने निकल सीमा तक पहुंच गया है. इनमें से एक राहुल ने कहा,"हम छिपे हुए हैं. सुरक्षा कारणों से मैं आपको अपनी लोकेशन नहीं बता सकता. बस इतना कह सकता हूं कि मैं और मेरे दोस्त खारकीव की सीमा पर हैं."