US Immigration News: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक बार फिर अपने सख्त तेवरों से पूरी दुनिया को चौंका दिया है. ट्रंप प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से 'ग्रीन कार्ड लॉटरी' (Diversity Visa Program) को सस्पेंड करने का आदेश दिया है. यह फैसला उस समय आया है जब यह खुलासा हुआ कि ब्राउन यूनिवर्सिटी और MIT में हुई गोलीबारी (Brown University Shooting Case) का मुख्य संदिग्ध इसी प्रोग्राम के जरिए अमेरिका में दाखिल हुआ था.
क्यों लगी 'ग्रीन कार्ड लॉटरी' पर रोक?
होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर इस बड़े फैसले की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप के निर्देश पर यूनाइटेड स्टेट्स सिटीजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) को इस प्रोग्राम को रोकने का आदेश दिया गया है. नोएम ने संदिग्ध पुर्तगाली नागरिक क्लॉडियो नेव्स वैलेंटे का जिक्र करते हुए कहा, 'इस तरह के जघन्य अपराधी को कभी भी हमारे देश में आने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए थी.'
मर्डर मिस्ट्री और आरोपी का कनेक्शन
बताते चलें कि ब्राउन यूनिवर्सिटी और MIT में हुई सनसनीखेज वारदातों का मुख्य आरोपी 48 वर्षीय पुर्तगाली नागरिक नेव्स वैलेंटे था, जिस पर दो छात्रों की हत्या, 9 लोगों को घायल करने और एक प्रतिष्ठित MIT प्रोफेसर की जान लेने का गंभीर आरोप था. इस आरोपी के अमेरिका में प्रवेश और रहने की कहानी बेहद चौंकाने वाली है.
वह साल 2000 में पहली बार स्टूडेंट वीजा पर अमेरिका आया था, लेकिन असली मोड़ 2017 में आया जब उसे डाइवर्सिटी इमिग्रेंट वीजा (लॉटरी) मिल गया. इस लॉटरी की बदौलत उसने महज कुछ ही महीनों के भीतर स्थायी निवास यानी ग्रीन कार्ड हासिल कर लिया और कानूनी तौर पर अमेरिका में रहने लगा. हालांकि, इन खौफनाक हत्याओं को अंजाम देने के बाद वह कानून के शिकंजे से ज्यादा समय तक बच नहीं सका. गुरुवार शाम जब पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेर लिया, तो गिरफ्तारी के डर से उसने खुद को गोली मार ली और मौके पर ही मृत पाया गया.
क्या है ग्रीन कार्ड लॉटरी और अब क्या होगा?
ग्रीन कार्ड लॉटरी प्रोग्राम के तहत हर साल लगभग 50,000 लोगों को रैंडम तरीके से स्थायी निवास दिया जाता है. इस प्रोग्राम की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2025 की लॉटरी के लिए दुनिया भर से लगभग 2 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था. साल 2025 की लॉटरी के लिए लगभग 2 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था. इनमें से 1.31 लाख लोगों को प्रारंभिक तौर पर चुना गया था, जिन्हें गहन जांच (Vetting) के बाद ग्रीन कार्ड दिया जाना था. ट्रंप के इस फैसले से दुनिया भर के उन लाखों लोगों का सपना अधर में लटक गया है जो लॉटरी के जरिए अमेरिका बसने की उम्मीद कर रहे थे.
ट्रंप की नई इमिग्रेशन नीति: 'नो एंट्री' का दौरडोनाल्ड ट्रंप की नई इमिग्रेशन नीति अब अमेरिका में 'नो एंट्री' के एक सख्त दौर की शुरुआत कर रही है. ट्रंप लंबे समय से 'डाइवर्सिटी वीजा लॉटरी' के प्रखर विरोधी रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह प्रोग्राम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है. हालिया हिंसक घटनाओं ने ट्रंप प्रशासन को अपनी आप्रवासन नीतियों को और अधिक कठोर बनाने का एक बड़ा मौका दे दिया है.
सुरक्षा के नाम पर उठाए गए कदमों की फेहरिस्त लंबी है. नवंबर में नेशनल गार्ड पर हुए हमले के बाद अफगानी नागरिकों के लिए नियमों को बेहद सख्त कर दिया गया है, वहीं ट्रंप पहले ही बड़े पैमाने पर अवैध प्रवासियों के 'मास डिपोर्टेशन' का ऐलान कर चुके हैं. इतना ही नहीं, ट्रंप अब 'बर्थराइट सिटीजनशिप' यानी अमेरिका की धरती पर जन्म लेने वालों को मिलने वाली स्वतः नागरिकता के संवैधानिक अधिकार को भी सीधी चुनौती दे रहे हैं, और यह कानूनी लड़ाई अब देश की सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंची है.
ये भी पढ़ें:- हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को चुनौती देगा अमेरिका, ट्रंप ने बनाया नया कानून














