अमेरिका के नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने हाल ही में कुछ तस्वीरें (Images) जारी कीं जिनसे दुनिया का ध्यान फिर एक बार एक ऐसे द्वीप की तरफ गया जो दुनिया का हिस्सा तो है, पर उसकी अपनी अलग 'दुनिया' है. इस द्वीप का नाम है ट्रिस्टन दा कुन्हा (Tristan da Cunha). यह वास्तव में एक द्वीप समूह है और यह दुनिया का सबसे दूरस्थ आइसलैंड है. ट्रिस्टन दा कुन्हा द्वीप चारों ओर से समंदर में फैले विशाल शैवाल (Kelp) के जंगल से घिरा है.
पृथ्वी पर जलवायु में जहां विभिन्न क्षेत्रों में भारी विविधता है वहीं मानवीय बसाहट, समाज, रहन सहन, परंपरा, संस्कृति, भाषा और जीवन यापन की परिस्थितियों में भी अद्भुत विविधता दिखाई देती है. साइबेरिया, अलास्का, डेनमार्क या ग्रीनलैंड जैसे सबसे अधिक ठंडे इलाके हों या फिर कुवैत का मित्रिबाह क्षेत्र, जहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है, इन इलाकों में जीवन की गाड़ी चलाना बहुत चुनौतीपूर्ण है. इसी तरह तरह विशाल समंदरों में अपार जलराशि से घिरे द्वीपों पर भी जिंदगी आसान नहीं होती. असीम चुनौतियों के बावजूद मानव की इच्छाशक्ति और जिजीविषा उसे इन हालात का मुकाबला करने के काबिल बनाए रखती है.
विपरीत मौसमी परिस्थितियों को झेलने वाले दुनिया के सभी इलाकों में एक समानता देखने को मिलती है. इन इलाकों में आबादी बहुत कम है. डेनमार्क की आबादी 60 लाख से कम है. ग्रीनलैंड कहने को तो काफी बड़ा देश है, लेकिन आबादी सिर्फ 56 हजार है. अलास्का की आबादी करीब साढ़े सात लाख और साइबेरिया की करीब साढ़े तीन करोड़ है. एकाकी द्वीप ट्रिस्टन दा कुन्हा भी ऐसा ही एक स्थान है. इस द्वीप की जनसंख्या पहले सिर्फ 250 थी जो कि सन 2023 में घटकर केवल 234 रह गई है. यहां के सभी निवासी ब्रिटिश ओवरसीज टेरिटरीज के नागरिक हैं.
ट्रिस्टन दा कुन्हा कितना अकेला है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसके सबसे समीप त्रिनिदाद और टोबैगो के द्वीप सेंट हेलेना से इसकी दूरी 2437 किलोमीटर है. दक्षिण अफ्रीका का केप टाउन इससे 2787 किलोमीटर दूर है. इस द्वीप तक जाने के लिए कोई हवाई संपर्क नहीं है. सिर्फ नाव पर सफर करते हुए यहां पहुंचा जा सकता है. दक्षिण अफ्रीका से ट्रिस्टन दा कुन्हा द्वीप पर पहुंचने में छह दिन लगते हैं.
यह दक्षिण अटलांटिक महासागर में ज्वालामुखी द्वीपों का समूह है. ट्रिस्टन करीब 98 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इस द्वीप समूह में शामिल गॉफ द्वीप पर एक मौसम केंद्र है. इसके अलावा कहीं अधिक दुर्गम नाइटिंगेल द्वीप सहित इस समूह के अन्य छोटे द्वीप निर्जन हैं.
बताया जाता है कि ट्रिस्टान द्वीपों को सबसे पहले सन 1506 में पुर्तगाली अन्वेषक ट्रिस्टाओ दा कुन्हा ने देखा था. हालांकि वह समुद्र की खराब स्थितियों के चलते द्वीप पर नहीं पहुंच पाया लेकिन उसने प्रमुख द्वीप का नामकरण अपने नाम पर इल्हा डी ट्रिस्टाओ दा कुन्हा कर दिया. बाद में इसका नाम ट्रिस्टन दा कुन्हा हो गया. बताया जाता है कि 19वीं शताब्दी के शुरुआती समय में ब्रिटेन के सैनिक और आम नागरिक इस द्वीप पर पहुंचे थे. बाद में वे वहीं बस गए, और इस तरह यह निर्जन द्वीप आबाद हो गया.
ट्रिस्टन दा कुन्हा द्वीप पर रहने वालों का जीवन यापन मछली के व्यवसाय से होता है. इसके अलावा इस द्वीप पर टूरिस्ट भी पहुंचते हैं, जिनसे यहां के लोगों को आय होती है. इस द्वीप समूह का अपना संविधान भी है.
ट्रिस्टन दा कुन्हा भले ही तन्हा है, लेकिन यह दुनिया से कई तरह से जुदा है. यहां एक ऐसा पारिस्थितिक तंत्र है जो समुद्र पर आश्रित है. द्वीप के निवासियों की जिंदगी समंदर के विवासी जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की जिंदगियों के साथ रची-बसी है. इस द्वीप पर रहने वाले लोग भले ही गिनती के ढाई सौ भी नहीं हैं, लेकिन वे दुनिया को अपनी उस दृढ़ इच्छाशक्ति का संदेश देते हैं कि हालात कितने की विपरीत हों, हार मानना मना है.
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